Thursday 14 February 2019

रिव्यू-‘गली बॉय’-ब्राउन एंड ब्यूटीफुल

-दीपक दुआ... (Featured in IMDb Critic Reviews)
मुंबई 17, बोले तो धारावी का इलाका। झोंपड़पट्टी, कचरापट्टी, गुज़रने को तंग गलियां, रहने को तंग खोलियां, तंग सोच, तंग दिल। लेकिन यहां रहने वाले मुराद को उठना है, उड़ना है क्योंकि उसे लगता है कि अपना टाइम आएगा। रैप लिखते-लिखते वह गाने भी लगता है। हालांकि उसके मामा का मानना है कि नौकर का बेटा नौकर ईच बनेगा, यही फितरत है। मामी कहती है कि गाना ही है तो ग़ज़ल गा लो। उसका ड्राईवर बाप भी कहता है कि सपने वो देखो जो तुम्हारी असलियत से मैच करते हों। पर मुराद का कहना है कि वह अपनी असलियत बदलेगा ताकि वो उसके सपनों से मैच कर सके।

Tuesday 12 February 2019

यात्रा-श्रीकृष्ण के चरण-चिन्ह हैं इस मंदिर में

-दीपक दुआ...
राजस्थान की राजधानी जयपुर से नाहरगढ़ के किले की तरफ जाएं तो किले से थोड़ा पहले एक बोर्ड लगा हुआ दिखता है जिस पर लिखा है-चरण मंदिर। लेकिन सामने वाली इमारत को देखिए तो लगता है कि कोई पुराना-सा महल है। अंदर जाइए तो कछवाहा शैली के किले की बनावट दिखती है। लेकिन इसी के भीतर है यह चरण मंदिर नाहरगढ़ जाने वाले बहुत कम पर्यटक ही यहां रुकते हैं। ज्यादातर स्थानीय लोग या फिर उत्सुक सैलानी ही इसके भीतर जाते हैं। यहां लिखी कथा के मुताबिक इस मंदिर का निर्माण महाराजा मान सिंह प्रथम ने करवाया था जिन्हें खुद भगवान श्रीकृष्ण ने स्वप्न में आकर इस जगह पर अपने और अपनी गायों के चरण-चिन्ह होने की बात बताई थी। तब राजा ने अपने सेवकों से इस जगह की खोज करवाई और अंबिका वन यानी आमेर पहाड़ी पर यह स्थान मिलने पर वह अपने पुरोहितों सहित यहां पहुंचे। पुरोहितों ने उन्हें बताया कि यह चिन्ह् द्वापर युग के समय के हैं और उन्हें श्रीमद्भागवत कथा के 10वें स्कंध के चौथे अध्याय में वर्णित विद्याधर (सुदर्शन) के उद्धार की कथा सुनाई।

Thursday 7 February 2019

सिनेमा के चितेरों के लिए है बॉबी सिंग की यह किताब

-दीपक दुआ...
क्या आप जानते हैं कि राजकुमार हिरानी की फिल्म मुन्नाभाई एम.बी.बी.एस.में शाहरुख खान भी मौजूद थे...?
क्या आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि शोलेका वह मशहूर टंकी वाला सीन ऑस्कर में जा चुकी किस फिल्म से प्रेरित है...?
संगीतकार कल्याणजी-आनंदजी के किन गानों से प्रेरित एक गीत को प्रतिष्ठित ग्रैमी अवार्ड मिला था...?
आज के मशहूर डायरेक्टर इम्तियाज़ अली अनुराग कश्यप की फिल्म ब्लैक फ्राइडेमें क्या कर रहे थे...?

Saturday 2 February 2019

रिव्यू-‘एक लड़की...’ को दिमाग से नहीं, दिल से देखिए

-दीपक दुआ... (Featured in IMDb Critic Reviews)
किसी लड़की को देख कर मन में खिलते गुलाब, शायर के ख्वाब, उजली किरण, बन में हिरण, चांदनी रात... जैसी फीलिंग्स आने में कुछ अजीब नहीं है। लेकिन अगर किसी लड़की के लिए ये सारी फीलिंग्स किसी लड़के के नहीं बल्कि लड़की के मन में रही हों तो...? जी हां, यही इस फिल्म यानी एक लड़की को देखा तो ऐसा लगाकी कहानी का मूल है कि इसमें नायिका को किसी लड़के से नहीं बल्कि एक लड़की से प्यार हुआ है। अब भले ही ये प्यारउसके परिवार, समाज और दुनिया वालों की नज़रों में गलत हो और उनकी नज़र में यह लड़की बीमारया एब्नॉर्मल’, लेकिन सच यही है कि ऐसे भी लोग इस दुनिया में हैं और यह फिल्म इन्हीं लोगों के बारे में बात करती है-बिना किसी पूर्वाग्रह के, बिना किसी फूहड़ता के।