Monday 31 December 2018

2018-आलिया-अनुष्का के नाम

-दीपक दुआ...
2018 की फिल्मी नायिकाओं पर 'हरिभूमि' में आया मेरा लेख यहां देखें...

2018-स्टार्स पर भारी पड़े किरदार

-दीपक दुआ...
साल 2018 के फिल्मी हीरोज़ पर 'हरिभूमि' में आया मेरा लेख यहां पढ़ सकते हैं...

2018 की फिल्मों में भव्यता पर हावी रहा कंटेंट

-दीपक दुआ...
हर साल की तरह 'हरिभूमि' अखबार में इस साल भी साल भर में आईं फिल्मों पर मेरा पूरे पेज का आलेख आया...

Saturday 29 December 2018

रिव्यू-‘सिंबा’-माईंड ईच ब्लोईंग पिक्चर

-दीपक दुआ... (Featured in IMDb Critics Reviews)
अगर खबरों में छोटी-सी बच्ची से लेकर बूढ़ी औरतों तक से हो रहे रेप की खबरों को पढ़-सुन कर आपके मन में आता है ऐसा काम करने वालों को तो बीच बाजार में ठोक देना चाहिए या इनका वोही काट देना चाहिए। अगर फलते-फूलते अपराधियों और पुलिस के गठजोड़ की खबरें आपको बेचैन करती हैं और आपका मन करता है कि कोई आए और इस सारे सिस्टम को अपनी पॉवर से बदल कर रख दे तो लीजिए, रोहित शैट्टी आपके लिए सिंबालेकर आए हैं। सिंबा मंझे पोलीस इनिसपैक्टर संग्राम भालेराव। बोले तो-ऐसा फटाका जो बड़ा धमाका करेगा, मगर इंटरवल के बाद।

Saturday 22 December 2018

रिव्यू-धुएं की लकीर छोड़ती 'ज़ीरो'

-दीपक दुआ... (Featured in IMDb Critics Reviews)
पहले ही सीन में जब मेरठ का बउआ सिंह अखबार की  एक खबर सुनाने के एवज में अपने दोस्तों पर 500 रुपए के नोटों की पूरी गड्डी लुटा देता है तो पता चल जाता है कि आप एक 'फिल्म' देखने आए हैं। फिल्म-जिसका वास्तविकता से कोई नाता नहीं होता, वही वास्तविकता जो निर्देशक आनंद एल. राय और लेखक हिमांशु शर्मा की जोड़ी अपनी कई फिल्मों में देकर तारीफें और कामयाबी बटोर चुकी है। लेकिन इस बार इन्हें सुपरस्टार शाहरुख खान का साथ मिला है और अफसोस, कि इन जैसे लोग भी स्टार वाली चुंधियाहट से बच न सके। वैसे, फिल्म की कहानी 'फिल्मी' होते हुए भी बुरी नहीं है। बल्कि इस कहानी के 'हटके' होने की तारीफ होनी चाहिए और इस पर फिल्म बनाने और उसमें काम करने का जोखिम उठाने के लिए शाहरुख खान की उससे भी ज़्यादा। लेकिन 'हटके' वाली कहानियों के लिए जिस तरह की 'हटके' वाली स्क्रिप्ट की दरकार होती है, वो इस फिल्म में नहीं है और इसके लिए कसूरवार आनंद व हिमांशु की जोड़ी को ही ठहराया जाना चाहिए। कमाल यह नहीं कि आनंद, हिमांशु और शाहरुख पहली बार साथ आए हैं, कमाल तो यह है कि ये तीनों साथ आ कर भी वो कमाल नहीं कर पाए हैं, जिसकी इनसे उम्मीद थी।

Saturday 8 December 2018

रिव्यू-‘केदारनाथ’-उफ्फ ये ‘शेखुलर’ मोहब्बत

-दीपक दुआ... (Featured in IMDb Critics Reviews)
अगर आपको पता चले कि 
2013 में उत्तराखंड के केदारनाथ में आई उस प्रलयकारी बाढ़ के पीछे एक बड़ा कारण यह भी था कि उस रात मोहब्बत के दुश्मनों ने सच्चा प्यार करने वाले एक जोड़े को अलग कर दिया था, तो कैसा लगेगा? बात फिल्मी है लेकिन अगर कायदे सेकही जाए तो आपके भीतर छुपे प्रेमी-मन को झंझोड़ सकती है, भावुक कर सकती है कि उस रात उनके बिछड़ने पर बादल भी कुछ इस तरह रोए थे कि हज़ारों को लील गए थे। लेकिन कायदे सेकही जाए तब ! इस फिल्म में और सब कुछ है, वो कायदा’, वो सलीकाही नहीं है जो किसी कहानी को आपके दिल की गहराइयों तक कुछ इस तरह से ले जाता है कि आप उस के साथ बहने लगते हैं।