Saturday 26 June 2021

रिव्यू-अच्छी ‘रे’ सच्ची ‘रे’ पक्की ‘रे’ कच्ची ‘रे’

-दीपक दुआ... (This review is featured in IMDb Critics Reviews)
.टी.टी. पर इधर एक अच्छी चीज़ उभर कर आई है जिसका नाम है-एंथोलॉजी। यानी लगभग एक ही जैसे विषय पर कही गईं अलग-अलग कहानियों को एक जगह दिखाना। खासतौर से नेटफ्लिक्स पर ऐसी कहानियां काफी रही हैं। इधर आईरेभी एक एंथोलॉजी है जिसमें महान फिल्मकार सत्यजित रे की लिखी चार कहानियों पर बनी चार फिल्में हैं। रे सिर्फ फिल्मकार ही नहीं, लेखक, गीतकार, संगीतकार, चित्रकार, पत्रकार और भी जाने क्या-क्या थे। इन चारों कहानियों की खासियत यह है कि इनके केंद्र में मुख्यतः पुरुष पात्र हैं जिनकी सोच, मनोदशा, आदतों, बातों आदि के ज़रिए ये कहानियां कुछ कहती हैं। क्या कहती हैं, आइए देखें।
 

Thursday 24 June 2021

वेब रिव्यू-‘चौरासी’ के सत्य की खोज में लगा ‘ग्रहण’

2016 का साल। रांची की एस.पी. अमृता सिंह को बोकारो में हुए 1984 के सिक्ख विरोधी दंगों की जांच का जिम्मा मिला है। अमृता ने जांच शुरू की तो पता चला कि जिस ऋषि रंजन को सबने दंगों की अगुआई करते देखा वह तो उसके अपने पिता गुरसेवक सिंह ही हैं। क्या सचमुच ऋषि नरसंहार में शामिल था
? तो फिर वह गुरसेवक क्यों बना? और उस मनजीत छाबड़ा यानी मनु का क्या हुआ जिससे वह प्यार करता था। अब कुछ बोल क्यों नहीं रहा है ऋषि? आखिर क्या है बोकारो की छाती पर छप चुके चौरासी का वह सत्य जिसे ऋषि आज भी अपने बूढ़े सीने में छुपाए बैठा है?

Friday 18 June 2021

रिव्यू-अपने समाज का जंगलराज दिखाती ‘शेरनी’

इलाके में नई वन-अधिकारी आई है, विद्या विन्सेंट। जंगल की और जंगली जानवरों की देखभाल करना उसका काम है। वह अपना काम करना भी चाहती है-पूरी ईमानदारी से, निष्ठा से। लेकिन आड़े जाता है सिस्टम। जंगल में एक शेरनी आदमखोर हो चुकी है। गांव वालों को मार रही है। लोग इस शेरनी से मुक्ति चाहते हैं। विद्या चाहती है कि शेरनी भी बच जाए और लोग भी। लेकिन आड़े जाता है सिस्टम।
 

Wednesday 16 June 2021

ओल्ड रिव्यू-उम्मीदों का इंद्रधनुष ‘धनक’

राजस्थान में कहीं भीतर एक छोटी-सी ढाणी में चाचा के साथ रह रहे परी और छोटू की है यह कहानी। अपनी आंखों की रोशनी खो चुके छोटू से बड़ी बहन परी ने वादा किया है कि उसके आने वाले नौवें जन्मदिन से पहले वह उसकी आंखें ठीक करवा देगी और वह धनक यानी इंद्रधनुष देख सकेगा। इनकी उम्मीदों के दूसरे सिरे पर है फिल्म स्टार शाहरुख खान जो वहां से बहुत दूर शूटिंग कर रहा है। एक रात ये दोनों शाहरुख से मिलने के लिए घर से निकल पड़ते हैं।
 

ओल्ड रिव्यू-ज़मीनी सच्चाई दिखाती ‘उड़ता पंजाब’

-दीपक दुआ... (This review is featured in IMDb Critics Reviews)
एक सीन देखिए-बिहार से आकर पंजाब के खेतों में काम कर रही मज़दूर (आलिया भट्ट) कहती है-‘हमने कभी बीड़ी नहीं पिया और पंजाब में इन लोगों ने हमको सुई (नशे) का आदत लगा दिया।इस पर नशा छोड़ कर सुधरने की कोशिश कर रहा रॉकस्टार टॉमी सिंह (शाहिद कपूर) सवाल करता है-‘तो फिर छोड़ क्यों नहीं देती?’ सवाल के बदले वह पूछती है-‘क्या, पंजाब या सुई?’ जवाब मिलता है-‘एक ही बात है...!’
 
यह इस फिल्म की कहानी का सच है जो बताता है कि कैसे देश के सबसे अमीर सूबों में गिने जाने वाले पंजाब के गबरू जवान नशे के शिकार होकर परिवार और समाज पर बोझ हुए जा रहे हैं। कैसे यह पांच दरियाओं की धरती नशे का पर्याय बन चुकी है। और यह भी कि अगर आपको नशा छोड़ना है तो आपको यह जगह छोड़नी होगी क्योंकि यहां तो हर जगह नशे का राज है।