-दीपक दुआ...
-‘पैडमैन’ के बारे में बताएं। आपका इसमें क्या किरदार है और उस किरदार की इस कहानी में कितनी अहमियत है?
-यह आर. बाल्की की फिल्म है जो ‘चीनी कम’ और ‘पा’ जैसी यादगार फिल्में बना चुके हैं। यह एक ऐसे इंसान अरुणाचलम मुरुगानंथम के जीवन पर आधारित फिल्म है जिसने महिलाओं के लिए सस्ते सैनेटरी नैपकिन बनाने की दिशा में बहुत ही महत्वपूर्ण काम किया था। अक्षय कुमार इस कहानी के नायक हैं और मैं इसमें एक प्रोफेसर का किरदार निभा रहा हूं। यह किरदार छोटा है लेकिन इसकी अहमियत यह है कि यह अक्षय के जीवन में होने वाली महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक घटना की वजह बनता है।
-आपको लगता है कि एक छोटे-से रोल में आने के बावजूद यह फिल्म आपको बतौर एक कलाकार फायदा पहुंचाएगी?

-टॉयलेट या सैनेटरी नैपकिन जैसे वर्जित समझे जाने वाले विषयों पर मनोरंजक फिल्में बनने से लोगों की सोच पर कितना असर पड़ता है?
-जब ऐसे विषयों पर बड़े सितारे फिल्म लेकर आते हैं तो उसका असर जरूर पड़ता है। लोग इन विषयों के बारे में सोचने लगते हैं, बात करने लगते हैं और कहीं न कहीं एक खुलापन आने लगता है। मुझे लगता है कि धीरे-धीरे ही सही लेकिन इस तरह की फिल्में समाज की सोच को बदलने का और समाज को आगे लेकर जाने का काम करती हैं।
-और कौन-सी फिल्में कर रहे हैं?

-बतौर निर्देशक अपनी अगली फिल्म कब शुरू करेंगे?
-बहुत जल्दी। यह फिल्म मई तक पूरी हो जाएगी जिसमें मैं काम कर रहा हूं, उसके बाद अपनी ही फिल्म शुरू करूंगा।
-थिएटर आप लगातार किए जा रहे हैं?
-थिएटर में मेरी जड़ें हैं, मेरा खाद-पानी सब मुझे थिएटर से ही मुझे मिलता है। मुझे नहीं लगता कि मैं थिएटर कभी छोड़ पाऊंगा।
(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार
हैं। 1993 से फिल्म-पत्रकारिता में सक्रिय।
मिजाज से घुमक्कड़। अपने ब्लॉग ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित
लिखने वाले दीपक रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)
गजब
ReplyDeleteशुक्रिया...
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