Sunday 21 February 2021

रिव्यू-बुरी तरह से डिस्टर्ब करती है ‘दिल्ली रायट्स’

 -दीपक दुआ...
23 फरवरी, 2020... दिल्ली के जमना पार का एक हिस्सा अचानक से दहशत का केंद्र बन गया था। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में सड़कों पर हफ्तों से जमे बैठे एक वर्ग विशेष के लोगों ने अचानक पुलिस और दूसरे संप्रदाय के लोगों के घरों, दुकानों को जलाना, लूटना शुरू कर दिया। उन्हें चुन-चुन कर मारा जाने लगा। कहा गया कि एक नेता के बयान के बाद वे लोग भड़के। लेकिन इन लोगों की हरकतें बता रही थीं कि इनका यह ‘भड़कना’ अचानक नहीं था बल्कि इसके लंबी तैयारी की जा रही थी। जब आरोपियों की धर-पकड़ शुरू हुई तो धीरे-धीरे सच सामने आने लगा। उन मनहूस दंगों की पहली बरसी पर रिलीज़ हुई डॉक्यूमेंट्री ‘दिल्ली रायट्स-ए टेल ऑफ बर्न एंड ब्लेम’ सच की उन्हीं दबी-छुपी परतों को सामने लाने का काम कर रही है जिन्हें पहले मुख्यधारा मीडिया के एक वर्ग और उसके बाद सोशल मीडिया के सिपाहियों ने या तो सामने नहीं आने दिया या फिर उन परतों में से सिर्फ उन्हीं को खोला जिनसे उनके खुद के हित सध रहे थे।

Wednesday 17 February 2021

‘बांझ’ के बहाने स्त्री-मन की बातें

-दीपक दुआ...
दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से निकलने के बाद हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री का रुख करने वाली अदाकारा सुष्मिता मुखर्जी ने दसियों फिल्मों और टी.वी. धारावाहिकों में काम किया। पुराने लोग उन्हें टी.वी. धारावाहिककरमचंदमें जासूस करमचंद बने पंकज कपूर की कमअक्ल सेक्रेटरी किटीके तौर पर जानते हैं तो नई पीढ़ी ने उन्हें रोहित शैट्टी कीगोलमालमें अंधी दादी और शाहिद कपूर वालीबत्ती गुल मीटर चालूमें देखा होगा। आजकल वह अभिनय में कम और लेखन सामाजिक कामों में ज्यादा मसरूफ रहती हैं। दो-ढाई साल पहले अपने उपन्यासमी एंड जूही बेबीके बाद अब वह अपना एक कहानी-संग्रहबांझलेकर आई हैं। पिछले दिनों अभिनेत्री सुष्मिता मुखर्जी के दिल्ली आने पर मेरा उनसे मिलना हुआ। इस दौरान उन्होंने जो कहा, वह उन्हीं की जुबानी पेश है-

Sunday 14 February 2021

रिव्यू-दहाड़ता नहीं मिमियाता है ‘द व्हाइट टाईगर’

 -दीपक दुआ... (Featured in IMDb Critics Reviews)
प्रियंका मैडम, हम एक इंटरनेशनल फिल्म बना रहे हैं। बैस्टसेलर उपन्यास पर। ऐसा उपन्यास जिसे बुकर जैसा प्रतिष्ठित अवार्ड मिल चुका है। डायरेक्टर हॉलीवुड से लेंगे। कई भाषाओं में बनाएंगे, पूरी दुनिया में दिखाएंगे।
 
वाह, फिर तो मैं उसमें ज़रूर काम करूंगी। बल्कि मैं उसे प्रोड्यूस भी करूंगी। इतना सारा पैसा आखिर मैंने किस दिन के लिए कमाया है।
 
थैंक्यू मैडम, आपका नाम देख कर पब्लिक भी खुश होगी और इंटरनेशनल फिल्म है, सो क्रिटिक लोग भी भर-भर कर तारीफ करेंगे।
 
हा, हा, हा... हा, हा, हा...

रिव्यू-जीवन के रंग-बेरंग दिखाती ‘द लास्ट कलर’

-गति उपाध्याय... (Featured in IMDb Critics Reviews)
एक विधवा, एक अछूत और एक किन्नर के प्रति तरह-तरह के पूर्वाग्रहों से जकड़े समाज की क्रूरता पर बनी है यह फिल्म। कहानी में एक चौथी अघोषित नायिका भी है-इंस्पेक्टर राजा रघुवंशी की पत्नी, जो अन्याय का मौन प्रतिकार तो शुरू से करती है, अंत में उसका मुखर होना दर्शकों को अवाक कर देता है।
 
एक छोटी अछूत अनाथ बच्ची हर किसी को बचाती, हंसाती और स्कूल जाने के सपने के साथ बनारस के घाट पर दिखाई पड़ती है। उसका बचपन बचा लेने के लिए एक थर्ड जेंडर पुलिस वालों के शोषण का शिकार होता है, जबकि उसे नहीं पता कि वो कब तक उसे बचा पाएगा? समझ नहीं आता कि वो किन्नर शोषित है या कि शोषक पुलिस वाला।

Saturday 13 February 2021

रिव्यू-कठिनाइयों में रोशनी दिखाती है ‘भोर’

-दीपक दुआ... (Featured in IMDb Critics Reviews)
मुसहर-बिहार में समाज के हाशिये पर बैठी एक ऐसी जनजाति जिसे अछूत माना जाता है। घनघोर गरीबी में रहने को अभिशप्त ये लोग चूहा (मूषक) मार कर खाने के चलतेमुसहरकहे गए। इसी समाज की दसवीं में पढ़ रही बुधनी का ब्याह चमकू के बेटे सुगन के संग हो गया। फाकामस्ती में जी रहे इस परिवार के कोई सपने और ही उन्हें हासिल करने का कोई संघर्ष। लेकिन बुधनी ने पढ़ाई नहीं छोड़ी। दसवीं की परीक्षा में जिले में टॉप किया। जिलाधीश ने बुला कर ईनाम मांगने को कहा तो बोली-शौचालय बनवा दीजिए। लेकिन जल्द ही वह पति संग मजदूरी करने दिल्ली गई। मगर यहां भी वही हाल कि सब लोग रेल की पटरियों पर ही जाते।

Wednesday 10 February 2021

भारत की ‘जल्लीकट्टू’ हुई ऑस्कर से बाहर-ये 15 फिल्में अब दौड़ में

-दीपक दुआ...

आज सुबह के साढ़े चार बजे थे जब अमेरिका की ऑस्कर अकादमी से यह मेल आया किसर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय फीचर फिल्म’ (जिसे पहलेविदेशी भाषा की सर्वश्रेष्ठ फिल्मकहा जाता था) के मुकाबले के लिए दुनिया भर से आईं 93 फिल्मों में से अगले राउंड के लिए 15 फिल्मों का चयन हो गया है। लपक कर मेल खोला क्योंकि इस बार भारत ने मलयालम की जिसजल्लीकट्टूको भेजा था उससे हर किसी को बड़ी उम्मीदें थीं। लेकिन तब निराशा हुई जब इन 15 फिल्मों मेंजल्लीकट्टूका नाम नज़र नहीं आया।