Thursday 24 October 2019

रिव्यू-‘मेड इन चाइना’-चाईनीज़ शफाखाने का चिंदी चूरण

-दीपक दुआ... (Featured in IMDb Critics Reviews)
चीन से सरकारी दौरे पर गुजरात आया एक अफसर यहां का एक सूप पीकर मर जाता है। सी.बी.आई. के लोग सूप बेचने वाले डॉक्टर (बोमन ईरानी) और उसे बनाने वाले रघु (राजकुमार राव) तक पहुंचते हैं। आरोप लगता है कि इस सूप में चीन से मंगवाए गए बाघ के शरीर के हिस्से हैं। तब रघु उन्हें पूरी कहानी बताता है कि कैसे हर धंधे में नाकाम होने के बाद उसने इस मैजिक सूपका कारोबार शुरू किया जिससे मर्दों की पॉवर’ बढ़ती है। कैसे उसने इस काम में डॉक्टर और बाकी लोगों को जोड़ा। कैसे इन लोगों ने आम जनता में फैली भ्रांतियों को दूर करने का काम किया, वगैरह-वगैरह। पर क्या सचमुच इस सूप में कुछ आपत्तिजनक था? क्या सचमुच वह अफसर इस सूप की वजह से ही मरा? और क्या सच में यह सूप वायग्रा से कई गुना ज़्यादा ताकतवर है?

Wednesday 23 October 2019

रिव्यू-बदलती हवा का रुख बतलाती ‘सांड की आंख’

-दीपक दुआ... (Featured in IMDb Critics Reviews)
पिछली सदी के आखिरी दिनों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक छोटे-से गांव में साठ की उम्र पार कर चुकीं दो दादियों ने निशानेबाजी शुरू की और देखते ही देखते ढेरों राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मुकाबले जीत कर पदकों का ढेर लगा दिया और दुनिया भर में शूटर-दादी के नाम से मशहूर हुईं। पर क्या इनका यह सफर इतना आसान रहा होगा? पूरी ज़िंदगी घूंघट के अंदर काटने और हर किसी की चाकरी करने के बाद समाज के पितृसत्तात्मक रवैये के सामने उठ खड़े होने की हिम्मत कहां से आई होगी इनके भीतर? कैसे इन्होंने उन तमाम बाधाओं को लांघा होगा जो इनकी राह में कभी पति, कभी बेटे, कभी समाज के तानों, कभी परंपराओं की बेड़ियों के रूप में सामने आई होंगी। यह फिल्म इनके इसी सफर को, इस सफर के दौरान किए गए संघर्ष को दिखाती है और बड़े ही कायदे से दिखाती है।

Thursday 17 October 2019

रिव्यू-या रब, यह कैसी फिल्म बना दी ’#यारम’...!

-दीपक दुआ... (Featured in IMDb Critics Reviews)
सिद्धांत कपूर--पप्पा, मेरे लिए कोई पिक्चर बनाओ न। देखो , श्रद्धा कितनी बड़ी स्टार बन गई जबकि मुझे कोई जानता तक नहीं।
शक्ति कपूर--अबे ढाक की चिकी, पिच्चर तो मैंने श्रद्धा के लिए भी नहीं बनाई, वो भी तो खुद ही चली है, तू भी चल ले।
सिद्धांत--पप्पा, मुझे कुछ नहीं पता। या तो आप मेरे लिए पिक्चर बनाओ वरना मैं मम्मी को बता दूंगा कि आप कहां-कहां आं-ऊं करते रहते हो।
शक्ति--धमकी दे रा है, तेरी तो...*@#$... चल बनवाते हैं किसी से। पकड़ते हैं किसी ऐसे को जिसे तेरे एक्टिंग के टेलेंटके बारे में पता हो वरना तुझे लेकर कौन फिल्म बनाएगा। शूटिंग भी पूरी बाहर जाकर करेंगे और इसी बहाने थोड़ा-बौत आं-ऊं भी कर आएंगे।

Thursday 10 October 2019

रिव्यू-हल्की गुलाबी ‘द स्काइ इज़ पिंक’

-दीपक दुआ... (Featured in IMDb Critics Reviews)
एक अजीब जेनेटिक बीमारी लेकर 1996 में जन्मी आयशा का छह महीने की उम्र में बोन-मैरो बदला गया। वह ज़िंदा तो रही लेकिन उसके फेफड़े बहुत कमज़ोर हो गए। इतने ज़्यादा कि जीने के लिए उसे रोज़ संघर्ष करना पड़ता था। अपने इन्हीं संघर्षों को उसने 15 बरस की उम्र से दुनिया को बताना शुरू किया। वह एक नामी मोटिवेशनल स्पीकर बनी और एक किताब भी लिख डाली। लेकिन इस किताब के छप कर आने के अगले ही दिन 18-19 उम्र में वह चल बसी।