-दीपक दुआ... (Featured in IMDb Critics Reviews)
पहला सीन-गोआ के एक रईस ईसाई बिज़नेसमैन जैफ्री रोज़ारियो की बेटी के लिए एक हिन्दू
पंडित
रिश्ता लेकर आया हुआ है। (आप चाहें तो सिर्फ इस बेतुके सीन को देखने के बाद ही इस फिल्म को बंद करके किचन में पत्नी की या होमवर्क में बच्चों की मदद करने जैसा कोई सार्थक काम कर सकते हैं। इस रिव्यू को भी आगे न पढ़ने का फैसला आप यहीं, इसी वक्त ले सकते हैं। नहीं...? चलिए, आपकी मर्ज़ी, हमें क्या, पढ़िए...) हां, तो जैफ्री उस पंडित की बेइज़्ज़ती करता है और पंडित मुंबई सैंट्रल रेलवे स्टेशन पर कुली का काम करने वाले राजू को महा-रईस बता कर उसका रिश्ता जैफ्री की बेटी से करवा देता है। ज़ाहिर है इस कहानी में कई उलझने होंगी जो अंत तक सुलझ ही जाएंगी।
रिश्ता लेकर आया हुआ है। (आप चाहें तो सिर्फ इस बेतुके सीन को देखने के बाद ही इस फिल्म को बंद करके किचन में पत्नी की या होमवर्क में बच्चों की मदद करने जैसा कोई सार्थक काम कर सकते हैं। इस रिव्यू को भी आगे न पढ़ने का फैसला आप यहीं, इसी वक्त ले सकते हैं। नहीं...? चलिए, आपकी मर्ज़ी, हमें क्या, पढ़िए...) हां, तो जैफ्री उस पंडित की बेइज़्ज़ती करता है और पंडित मुंबई सैंट्रल रेलवे स्टेशन पर कुली का काम करने वाले राजू को महा-रईस बता कर उसका रिश्ता जैफ्री की बेटी से करवा देता है। ज़ाहिर है इस कहानी में कई उलझने होंगी जो अंत तक सुलझ ही जाएंगी।