-दीपक दुआ... (This review is featured in IMDb Critics Reviews)
ऊंची जात की अमीर लड़की। नीची जात का गरीब लड़का। आकर्षित हुए, पहले
दोस्ती, फिर प्यार कर बैठे। घर वाले आड़े आए तो दोनों भाग गए। जिंदगी की कड़वाहट को करीब से देखा, सहा
और धीरे-धीरे सब पटरी पर आ गया। लेकिन...!
इस कहानी में नया क्या है, सिवाय
अंत में आने वाले एक जबर्दस्त ट्विस्ट के? कुछ
भी तो नहीं। फिर इसी कहानी पर बनी मराठी की ‘सैराट’
कैसे इतनी बड़ी हिट हो गई कि तमाम भाषाओं में उसके रीमेक बनने लगे। कुछ बात तो जरूर रही होगी उसमें। तो चलिए, उसका
हिन्दी रीमेक भी बना देते हैं। कहानी को महाराष्ट्र के गांव से उठा कर राजस्थान के उदयपुर शहर में फिट कर देते हैं। हर बात, हर
संवाद में ओ-ओ लगा देते हैं। थारो, म्हारो,
आयो, जायो, थे,
कथे, कोणी, तन्नै,
मन्नै जैसे शब्द डाल देते हैं (अरे यार, उदयपुर
जाकर देखो, लोग
प्रॉपर हिन्दी भी बोल लेते हैं। और हां, यह
‘पनौती’ शब्द
मुंबईया है, राजस्थानी
नहीं)। हां, गानों
के बोल हिन्दी वाले रखेंगे और संगीत मूल मराठी फिल्म वाला(ज्यादा मेहनत क्यों करें)। ईशान खट्टर और जाह्नवी कपूर जैसे मनभावन चेहरे, शानदार
लोकेशंस, रंग-बिरंगे सैट, उदयपुर
की खूबसूरती... ये सब मिल कर इतना असर तो छोड़ ही देंगे कि पब्लिक इसे देखने के लिए लपकी चली आए।