भारत का 47वां अंतरराष्ट्रीय फिल्म
समारोह (इफ्फी) 20 नवंबर से गोआ में शुरू हो गया। इस रंगारंग समारोह में देश-विदेश
की ढेरों उत्कृष्ट फिल्मों के प्रदर्शन के साथ-साथ सिनेमा से जुड़ी और भी बहुतेरी गतिविधियां
रहेंगी।
सिकुड़ गया इफ्फी
1952 में अपनी शुरूआत से लेकर अब तक इफ्फी के रूप-रंग में कई बदलाव होते का दायरा फैलता-सिकुड़ता रहा है। पहले महोत्सव घुमंतू था। इधर कई साल से यह गोआ में जाकर जम गया और 23 नवंबर से 3 दिसंबर तक होने लगा। हाल के बरसों में यह 20 से 30 नवंबर तक होने लगा था। लेकिन इस बार यह 20 से 28 नवंबर तक होगा।
भव्य शुरूआत
इस बार इफ्फी की शुरूआत अभिनेता अजय देवगन के हाथों हुई। इसी समारोह में इफ्फी की ओपनिंग फिल्म भी दिखाई जाती है। इस बार यह दर्जा पौलेंड की फिल्म ‘आफ्टर इमेज’ को दिया गया। प्रख्यात लेखक-निर्देशक स्वर्गीय आंद्रे वाजदा की इस अद्भुत कृति को दुनिया भर में सराहना मिली है।
छाया रहेगा कोरिया
इफ्फी में हर बार किसी एक देश को फोकस-कंट्री का दर्जा दिया जाता है। इस बार यह ओहदा रिपब्लिक ऑफ कोरिया यानी दक्षिण कोरिया को दिया गया है। कोरिया की छह फिल्मों का एक खंड यहां प्रमुखता से दिखाया जाएगा। कोरियाई सिनेमा के कई दिग्गज भी इस दौरान यहां मौजूद रहेंगे। इफ्फी का दस लाख रुपए की सम्मान-राशि वाला सबसे प्रतिष्ठित सम्मान ‘लाइफटाइम अचीवमैंट पुरस्कार’ कोरियाई निर्देशक क्वान ताएक इम को दिया जाएगा। इफ्फी की समापन फिल्म भी दक्षिण कोरियाई निर्देशक किम जी वून की ‘द ऐज ऑफ शेडोज’ होगी जो इस बार कोरिया से ऑस्कर पुरस्कारों की दौड़ में भेजी गई है।
जुटेगा दुनिया भर का सिनेमा
हर बरस की तरह इस साल भी गोआ में ढेरों फिल्में दिखाई जाएंगी। इतनी सारी कि कोई चाहे भी तो सारी न देख पाए। इस साल यहां 102 फिल्मों से 1032 फिल्मों के आवेदन आए थे जिनमें से 88 देशों की 194 फिल्मों को प्रदर्शन के लिए चुना गया है।
कोई पाकिस्तानी फिल्म नहीं
पाकिस्तानी कलाकारों को लेकर छाए विवादों के माहौल के बीच इस बार का इफ्फी सेफ-गेम खेलता नजर आ रहा है। इस बार के फिल्म समारोह में कोई भी पाकिस्तानी फिल्म नहीं दिखाई जाएगी। समारोह निदेशक सेंथिल राजन कहते हैं कि इस बार दो पाकिस्तानी फिल्मों के आवेदन आए थे लेकिन उन्हें इस स्तर का नहीं पाया गया कि उन्हें इफ्फी में शामिल किया जाता।
इफ्फी के अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता खंड की फिल्मों पर सभी की नजर रहती है क्योंकि इसमें दुनिया का सर्वश्रेष्ठ सिनेमा शामिल होता है। पिछले साल की तरह इस बार भी इस खंड में विभिन्न देशों की 15 फिल्में दिखाई जाएंगी जिनमें से अपने यहां की भी दो फिल्में संस्कृत की ‘इष्टि’ और बांग्ला की ‘सहज पाथेर गप्पो’ शामिल हैं।
फिर निखरेगा भारतीय पैनोरमा
भारतीय पैनोरमा खंड को हमेशा से भारतीय सिनेमा के आइने के तौर पर देखा जाता है। पिछले एक साल में भारत में बनी चुनिंदा उत्कृष्ट फिल्मों को दिखाने वाले इस खंड में देश के विभिन्न हिस्सों से आईं 26 फीचर और 21 गैर-फीचर फिल्में दिखाई जाएंगी।
सुनाई भी देंगी फिल्में
भारत सरकार के ‘सुगम्य भारत अभियान’ के अंतर्गत इस बार इफ्फी ने यूनेस्को और एक एन.जी.ओ. ‘सक्षम’ के साथ अनोखा गठबंधन किया है जिसके तहत यहां पर तीन ऐसी फिल्में ‘दिखाई’ जाएंगी जो खासतौर से दृष्टिबाधित लोगों के लिए होंगी। असल में ‘सक्षम’ इन फिल्मों के साथ इनके लिए खासतौर से तैयार ऑडियो उपलब्ध कराएगा।
स्वच्छ भारत की फिल्में
सरकार के ‘स्वच्छ भारत अभियान’ की धमक इफ्फी में भी सुनाई देगी। दरअसल राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम ने इस साल एक ‘स्वच्छ भारत फिल्म समारोह’ का आयोजन किया था। इसमें आईं 4346 फिल्मों में से 20 फिल्मों को 2 अक्टूबर को दिल्ली में पुरस्कृत किया गया था। ये 20 फिल्में यहां प्रदर्शित की जाएंगी।
होंगे कई नए झरोखे
इफ्फी में कई तरह के छोटे-छोटे खंडों में विभिन्न किस्म की फिल्में दिखाई जाती हैं। दुनिया भर के कुछ दिग्गज फिल्मकारों को समर्पित ‘सेलिब्रेशन ऑफ मास्टर्स’ खंड में ब्रिटिश फिल्मकार केन लोच, ऑस्ट्रिया के मरहूम फिल्मकार फ्रिट्ज लैंग, इस साल की 1 जनवरी को दुनिया छोड़ गए हंगरी के फिल्मकार विल्मोस सिगमंड, मरहूम अमेरिकी फिल्मकार स्टेनले क्यूब्रिक आदि की फिल्में दिखाई जाएंगी। 12 फिल्मों का एक खंड उन फिल्मों का भी होगा जो प्रतिष्ठित कान फिल्म समारोह 2016 में पुरस्कृत हो चुकी हैं।
जाने वालों की याद
‘श्रद्धांजलि वर्ग’ में बीते एक साल में विदा हुई फिल्मी हस्तियों को उनकी फिल्मों के जरिए याद करने का दस्तूर रहा है। इस बार इस वर्ग में भारतीय फिल्मी हस्तियों के अलावा पौलेंड के फिल्मकार आंद्रे वाजदा और ईरानी फिल्ममेकर अब्बास कियारोस्तामी की फिल्में दिखाई जाएंगी जो इसी साल दुनिया छोड़ गए।
महारथियों का गुरुकुल
इफ्फी में आने वाले सिनेमा के छात्रों और फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोगों के लिए यहां आयोजित की जाने वाली मास्टर क्लास और वर्कशॉप्स की भी काफी अहमियत रहती हैं। दुनिया भर में सिनेमा से जुड़े दिग्गज यहां आकर अपने अनुभवों और ज्ञान को बांटते हैं जिन्हें सिने-तकनीक के रसिक काफी उत्सुकता से बटोरते हैं। इस बार जहां ऑस्कर अकादमी से जुड़े हुए दिग्गज आ रहे हैं वहीं हर बार की तरह अपने यहां के कई वरिष्ठ फिल्मकार भी यहां मौजूद होंगे।
इफ्फी के समानांतर राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम चार दिन के ‘फिल्म बाजार’ का आयोजन करता है जिसमें देसी-विदेशी लोगों को फिल्मों के कारोबार को समझने और उसमें अपनी जगह बनाने-तलाशने को प्रोत्साहित किया जाता है। इसके अलावा रोजाना यहां किस्म-किस्म की वर्कशॉप, चर्चाएं, ओपन फोरम, लांच, पार्टियां वगैरह भी होते हैं।
अवार्ड्स के साथ होगा समापन
इफ्फी का समापन समारोह पुरस्कारों के वितरण के साथ होता है। इस समारोह में चीफ गैस्ट के रूप में डायरेक्टर एस.एस. राजमौली होंगे जिन्हें हिन्दी के दर्शक ‘मगधीरा’, ‘मक्खी’ और ‘बाहुबली’ के निर्देशक के तौर पर जानते हैं। इस बार विशेष सेंटिनेरी पुरस्कारों की शुरूआत की जा रही है। दक्षिण भारत के प्रख्यात गायक एस.पी. बालसुब्रह्मण्यम को इस श्रृंखला के ‘2016 की भारतीय फिल्मी हस्ती’ के सम्मान से नवाजा जाएगा। दुनिया भर में 2016 में बनी किसी निर्देशक की पहली फिल्म का एक मुकाबला-खंड होगा जिसमें से सर्वश्रेष्ठ फिल्म के निर्देशक को रजत मयूर और दस लाख रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा। ‘अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता खंड’ की फिल्मों में से सर्वश्रेष्ठ फिल्म, निर्देशक, अभिनेता, अभिनेत्री, स्पेशल ज्यूरी जैसे पुरस्कार दिए जाएंगे। पिछले साल की तरह इस बार भी इफ्फी उस फिल्म को ‘आई.सी.एफ.टी.-यूनेस्को गांधी मैडल’ प्रदान करेगा जो शांति, सहिष्णुता और अहिंसा को बढ़ावा देने वाले आदर्शों को दर्शाएगी।
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