-दीपक दुआ... (This review is featured in IMDb Critics Reviews)
ओ.टी.टी. पर इधर एक अच्छी चीज़ उभर कर आई है जिसका नाम है-एंथोलॉजी। यानी लगभग एक ही जैसे विषय पर कही गईं अलग-अलग कहानियों को एक जगह दिखाना। खासतौर से नेटफ्लिक्स पर ऐसी कहानियां काफी आ रही हैं। इधर आई ‘रे’ भी एक एंथोलॉजी है जिसमें महान फिल्मकार सत्यजित रे की लिखी चार कहानियों पर बनी चार फिल्में हैं। रे सिर्फ फिल्मकार ही नहीं, लेखक, गीतकार, संगीतकार, चित्रकार, पत्रकार और भी न जाने क्या-क्या थे। इन चारों कहानियों की खासियत यह है कि इनके केंद्र में मुख्यतः पुरुष पात्र हैं जिनकी सोच, मनोदशा, आदतों, बातों आदि के ज़रिए ये कहानियां कुछ कहती हैं। क्या कहती हैं, आइए देखें।
ओ.टी.टी. पर इधर एक अच्छी चीज़ उभर कर आई है जिसका नाम है-एंथोलॉजी। यानी लगभग एक ही जैसे विषय पर कही गईं अलग-अलग कहानियों को एक जगह दिखाना। खासतौर से नेटफ्लिक्स पर ऐसी कहानियां काफी आ रही हैं। इधर आई ‘रे’ भी एक एंथोलॉजी है जिसमें महान फिल्मकार सत्यजित रे की लिखी चार कहानियों पर बनी चार फिल्में हैं। रे सिर्फ फिल्मकार ही नहीं, लेखक, गीतकार, संगीतकार, चित्रकार, पत्रकार और भी न जाने क्या-क्या थे। इन चारों कहानियों की खासियत यह है कि इनके केंद्र में मुख्यतः पुरुष पात्र हैं जिनकी सोच, मनोदशा, आदतों, बातों आदि के ज़रिए ये कहानियां कुछ कहती हैं। क्या कहती हैं, आइए देखें।