Sunday, 29 April 2018

रिव्यू-सरकार, यह ‘देव’ तो ‘दास’ निकला

-दीपक दुआ... (Featured in IMDb Critics Reviews)
चलो सरकार, फिल्म बनाते हैं। पर सरकारतो रामू बना चुके हैं। तो चलो उसमें हैमलेटमिलाते हैं। मगर उस पर विशाल भारद्वाज हैदरबना चुके हैं। तो फिर ऐसा करते हैं देवदासभी मिला देते हैं। हीरो का नाम देव, उसकी सखी का पारो रख देते हैं। थोड़ी-थोड़ी ओंकारा’, ‘मकबूल’, ‘गैंग्स ऑफ़ वासेपुर’, ‘राजनीति’, ‘हु तु तु’, ’सत्ताऔर ऐसे ही फ्लेवर वाली फिल्में भी ले लेते हैं। कुछ तो बन ही जाएगा।

तो साहब, यह जो कुछबन कर आया है इसमें बाहुबलियों वाला बैकग्राउंड है। राजनीतिक परिवार की कहानी है। सत्ता और पॉवर के नशे का मिक्सचर है। प्यार और धोखे का तड़का है। उठा-पटक है, गोलियां हैं, गालियां हैं। बस नहीं है तो वह सुधीर मिश्रा और उनका वाला टच जिसके शैदाई कभी हम जैसे लोग हुआ करते थे।

फिल्म की कहानी तो जो है सो है ही, इसकी स्क्रिप्ट इतनी ज्यादा जटिल और उलझी हुई है कि यकीन नहीं होता कि आप उन्हीं सुधीर मिश्रा की फिल्म देख रहे हैं जो डार्क कहानियों को भी इस सरलता से बयान कर दिया करते थे कि उनके निगेटिव किरदारों से भी इश्क-सा होने लगता था। इस कहानी के ढेरों किरदारों में से तो एक भी पात्र ऐसा नहीं निकला जो आपकी हमदर्दी ले जा सके।

एक्टिंग कई लोगों की जबर्दस्त है। सौरभ शुक्ला और विपिन शर्मा तो भरपूर छाए रहे। दिलीप ताहिल, अदिति राव हैदरी, ऋचा चड्ढा, विनीत कुमार सिंह भी उम्दा रहे। देव बने राहुल भट्ट हालांकि इस सारे मजमे में सबसे कमजोर रहे लेकिन अपनी तरफ से वह भी भरपूर कोशिशें करते नजर आए। अनुराग कश्यप भी हैं। बुल्ले शाह और फैज़ की रचनाएं लेने के बाद ढेरों गीतकारों-संगीतकारों की भीड़ से जो गाने तैयार करवाए गए वे भी इस फिल्म की तरह ही औसत रह गए।

यह फिल्म देखते हुए महसूस होता है कि हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री किस तरह से उन फिल्मकारों के जेहन में भी घिसे-पिटे रास्तों पर चलने और दूसरों से मुकाबला करने का दबाव बनाती है जो कभी अपनी राह खुद बनाया करते थे। अफसोस, कि सुधीर मिश्रा भी इस दबाव के सामने दास बन गए।
अपनी रेटिंग-डेढ़ स्टार
(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म-पत्रकारिता में सक्रिय। मिजाज से घुमक्कड़। अपने ब्लॉग सिनेयात्रा डॉट कॉम (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)


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