-दीपक दुआ... (Featured in IMDb Critics Reviews)
क्या आप पंजाबी फिल्में देखते हैं? क्या आप फिल्मों में पंजाब की तस्वीरें देखते हैं? क्या आप जानते हैं कि देश में सबसे ज़्यादा दलित जनसंख्या किस प्रदेश में है? आप कहेंगे कि ये कैसे बेमेल सवाल हैं? लेकिन ऐसा नहीं है। यदि आप पंजाबी फिल्में देखते हैं या हिन्दी फिल्मों में पंजाबी माहौल,
पंजाबी किरदार देखते हैं तो आप जानते होंगे कि यह एक खुशहाल प्रदेश है, यहां के लोग हर समय तंदूरी मुर्गे,
मक्के की रोटी, सरसों का साग, लस्सी और शराब का सेवन करते हैं। इन लोगों के पास लंबे-चौड़े खेत होते हैं और हर घर से कोई न कोई कनैडा में बैठ कर इनके लिए डॉलर-पाउंड भेज रहा है। इनके पास पहनने को ढेरों रंग-बिरंगे कपड़े होते हैं और ये लोग ज़रा-ज़रा सी बात पर भंगड़ा करने लगते हैं, हनी सिंह और बादशाह के गानों पर डांस करने लगते हैं। यानी कुल मिला कर पंजाब वालों की ज़िंदगी में सब कुछ बस उजला ही उजला है, किसी को कोई गम नहीं,
कोई फिक्र नहीं। पर काश,
कि यह सब सच होता। क्योंकि एक सच यह भी है कि भारत की दलित आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा, करीब 32 प्रतिशत पंजाब में ही बसता है और इनके सामने भी गरीबी, बेरोज़गारी, नशाखोरी, भेदभाव जैसी वही तमाम समस्याएं हैं जो बाकी देश में भी पाई जाती हैं। पर क्या आपने कभी किसी फिल्म में यह सब देखा? पंजाबी फिल्म ‘चम्म’ आपको यही सब दिखाती है।