-दीपक दुआ... (Featured in IMDb Critics Reviews)
बिहार के कुछ इलाकों में ‘पकड़ुआ विवाह’ का चलन है। अपनी बेटी के लिए दहेज
या किसी अन्य कारण से उपयुक्त वर न खोज पाने के चलते किसी लड़के को जबरन उठवा कर उससे
अपनी बेटी को ब्याह देने के इस काम में दबंगों, गुंडों की मदद ली जाती है। यह फिल्म भी इसी पर बेस्ड है। हीरो
अपने दबंग बाप के कहने पर अपने गुंडे दोस्तों की मदद से जबरिया शादी करवाने की ‘समाज सेवा’ करता फिरता है। बचपन में बिछड़ी
हीरोइन उसे मिली तो दोनों के भीतर प्यार जगा। पर कभी परिवार आड़े आ गए तो कभी दोनों
के अहं। लेकिन प्यार तो प्यार होता है, कभी तो फूटेगा ही।
हर फिल्म में एक कहानी होती है, स्क्रिप्ट होती है। इस फिल्म में
भी यह कसरत की गई है। लेकिन इसे देखने के बाद लगता है कि अगर कहानी और स्क्रिप्ट ऐसे
ही लिखी जाती है तो मेरी गली के नुक्कड़ पर बैठे कबाड़ी को भी यह अधिकार मिलना चाहिए।
एकता कपूर और शैलेश आर. सिंह जैसे नामी निर्माताओं की यह फिल्म मनोरंजन कम और पब्लिक
को चू... रन चटाने की कोशिश ज़्यादा लगती है। शुरू में आपको लगता है कि कुछ होगा, कुछ तो ज़रूर होगा। पर्दे पर लगातार
कुछ न कुछ हो भी रहा है लेकिन जो हो रहा है और जिस अंदाज़ में हो रहा है, वह इतना ज़्यादा उबाऊ, पकाऊ, थकाऊ और झेलाऊ है कि थोड़ी ही देर
में आपके मन में खुदकुशी करने के ख्याल आने लगते हैं। आप वक्त के उस पल को कोसने लगते
हैं जब आपने इस फिल्म को देखने का फैसला लिया था।
अब कहने को इस कहानी में सारे
ज़रूरी मसाले हैं लेकिन कौन-सा मसाला कब मुंह उठा कर उचकता हुआ पर्दे पर आ जाएगा, इसका कोई भरोसा नहीं है। संजीव
के. झा की लिखी लचर कहानी और स्क्रिप्ट के साथ-साथ संवाद भी पैदल हैं। उन्हें दर्शकों
पर अत्याचार करने के जुर्म में सज़ा होनी चाहिए। प्रशांत सिंह का निर्देशन बेहद कमज़ोर
है। फिल्म देखते हुए साफ लगता है कि उनका किसी डिपार्टमैंट पर ज़ोर नहीं चला होगा। जिसके
जो मन में आया उसने कर दिया। हाल के समय का सबसे बेहूदा बैकग्राउंड म्यूज़िक है इस फिल्म
में। किरदारों को जो कपड़े दिए गए हैं, उनका जो मेकअप किया गया है,
उससे बेहतर तो हॉरर फिल्मों में
होता है। अरे भाई, नहीं आती फिल्म बनानी, तो मत बनाओ न। जबरिया कुछ भी अच्छा नहीं होता-आप ही की फिल्म
का डायलॉग है।
सिद्धार्थ मल्होत्रा एक्टिंग के
मामले में लुल्ल हैं यह सब जानते हैं, तो भाई क्यों इस बंदे को जबरन ऐसा किरदार दे रहे हो? परिणीति चोपड़ा का काम अच्छा है
लेकिन उनका जो किरदार लिखा गया, क्या वह लिखने वाले को भी समझ में आया? खुद को ‘बम’ बोलने वाली दबंग लड़की और इतनी
निरीह? भैय्ये, नारी मुक्ति तो कायदे से दिखाओ। और उनका पहनावा, मेकअप... उफ्फ...! परिणीति इतनी
बदसूरत पहले कभी नहीं लगीं। हीरो की मम्मी को तो आपने भूत ही बना दिया-जब चाहे पर्दे
पर आ गई, जब चाहे गायब हो गई। जावेद जाफरी, संजय मिश्रा, नीरज सूद, अपारशक्ति खुराना, चंदन रॉय सान्याल जैसे अभिनेताओं
को इस कदर बर्बाद होते हुए देखना असहनीय है।
गाने ठीक-ठाक हैं। अपने इन्हीं
गानों और बिहारी टोन के चलते छोटे सैंटर्स में चंद चवन्नियां बटोरने का दम रखती है
यह फिल्म। लेकिन यह क्या कि पूरी बिहारी टोन वाली फिल्म के अंत में एक पंजाबी गाना...!
क्यों भई, मुझ पंजाबी क्रिटिक को खुश करने के लिए? जाओ, नहीं होता खुश! इस फिल्म में हीरो, हीरो का बाप, बाप के चमचे, चमचो के चेले, हीरोइन, हीरोइन के दोस्त, हीरोइन का बाप, मने हर आदमी शराबबंदी वाले बिहार
में जम कर दारू पी रहा है और बार-बार पर्दे पर लिखा हुआ आता है कि मदिरा का सेवन स्वास्थ्य
के लिए हानिकारक है। लेकिन सच तो यह है कि जिस फिल्म को देखने के बाद दीवार पर सिर
मारने का मन करे, वह फिल्म देखना आपके स्वास्थ्य के लिए ज़्यादा हानिकारक हो सकता
है।
(रेटिंग की ज़रूरत ही क्या है? रिव्यू पढ़िए और फैसला कीजिए कि फिल्म कितनी अच्छी या खराब है। और हां, इस रिव्यू पर अपने विचार ज़रूर बताएं।)
(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म-पत्रकारिता में सक्रिय। मिजाज़ से घुमक्कड़। अपने ब्लॉग ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com)
के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)
इस मुद्दे पर मैंने एक बढ़िया कहानी लिखी थी।
ReplyDeleteएक तरह से देखा जाए तो यह एक गंभीर समस्या है। यहाँ बात दहेज से लेकर अव्यवस्था की हो सकती थी लेकिन दुःखद नए लोगो को कोई नही सुनना चाहता।
सच है...
Delete😂😂😂
ReplyDeleteपा जी जिसके पास चने हैं दांत नहीं और जिसपे दांत हैं चने नहीं। पैसा है,सालकुछ भी परोस दो भारतीय सब खा जाएंगे। हाजमा ही इतना दुरुस्त है 😀😂😀😂
ReplyDeleteबहुत खूब...
Deleteरिव्यु पढ़ कर मजा आ गया
ReplyDeleteशुक्रिया...
DeleteI like d way how to descript
ReplyDeleteI like d way how you discript
ReplyDeleteआभार...
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