-दीपक दुआ...
पूरे परिवार के साथ वैष्णो देवी की यह यात्रा भले ही अक्टूबर, 2012 में की गई लेकिन इस यात्रा का विचार मन में आया था करीब छह महीने पहले हुए एक हादसे के बाद। दिन था दुर्गा अष्टमी का। इधर घर में कन्या-पूजन हो रहा था और उधर हॉस्पिटल में निशा जी का ऑपरेशन चल रहा था। बीती शाम जब उन्हें भयंकर पेट-दर्द के बाद आनन-फानन में अस्पताल ले जाया गया था तो डॉक्टरों का कहना था कि अगर उन्हें लाने में थोड़ी देर हो जाती तो...! अष्टमी के इसी दिन मन में यह विचार उपजा कि निशा जी स्वस्थ होकर लौट आएं तो मां वैष्णो के दरबार में हाजिरी लगाने जाएंगे। हम दोनों शादी के तुरंत बाद वहां गए थे और उसके बाद मैं किसी यार-दोस्त के साथ भी दो-तीन बार वहां हो आया था लेकिन इन 11 बरसों में हमारा इक्ट्ठे जाना नहीं हो पाया था। इस बीच परिवार में बेटा और बिटिया भी आ चुके थे सो,
पूरे परिवार के साथ यह हमारी पहली वैष्णो देवी यात्रा होनी थी।