-दीपक दुआ...

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शॉर्ट फिल्म-लंच विद माई फ्रेंड्स वाइफ |
उत्तराखंड के एक छोटे-से पहाड़ी गांव के रहने वाले प्रभाकर ने दिल्ली से पढ़ाई करने के बाद जब मुंबई की राह पकड़ी तो उनके पास न तो कोई जान-पहचान थी और न ही कोई ट्रेनिंग। बस थी तो सिनेमा के प्रति दीवानगी,
कहानी कहने का हुनर और कुछ कर दिखाने का जज़्बा। फिल्मों के सैट पर स्पॉट बॉय के तौर पर फिल्म निर्माण से जुड़े तमाम कामों को नज़दीक से देखते-समझते हुए प्रभाकर आगे बढ़ते गए और करीब छह साल पहले उन्होंने अपनी पहली शॉर्ट-फिल्म ‘लंच विद् माई फ्रैंड्स वाइफ’ बनाई और उसे यू-ट्यूब पर डाल दिया। यह फिल्म इतनी ज़्यादा पसंद की गई कि इसे अब तक 13 करोड़ 82 लाख लोग देख चुके हैं। महज़ दो किरदारों वाली 15 मिनट की इस फिल्म में एक दोस्त अपने दोस्त के घर पर लंच करने के लिए आया हुआ है। घर पर सिर्फ दोस्त की पत्नी है। इस फिल्म का अंत आपको चौंका देता है। देखना चाहेंगे यह फिल्म? तो यहां क्लिक कीजिए।
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शॉर्ट फिल्म-दैट संडे |
इसके बाद प्रभाकर ने ‘दैट संडे’ बनाई जिसे पिछले पांच साल में तकरीबन 4 करोड़ 60 लाख लोग देख चुके हैं। यह कहानी है एक ऐसे परिवार की जिसमें घर पर रहने वाले एक बीमार पति को नौकरी करने वाली अपनी पत्नी का एक वीडियो मिलता है। क्या हुआ था उसकी पत्नी के साथ?
15 मिनट की यह फिल्म जैसे-जैसे आगे बढ़ती है,
हमारी उत्सुकता बढ़ती जाती है और जब हकीकत सामने आती है तो...! इस फिल्म को देखना चाहें तो यहां क्लिक कीजिए।
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शॉर्ट फिल्म-चुंबक |
करीब तीन साल पहले प्रभाकर ने अपनी तीसरी शॉर्ट-फिल्म ‘चुंबक’ बनाई। एक थ्रिलर का अहसास देती इस फिल्म में एक पत्नी अपने पति की छाती पर चढ़ कर लगातार उसे चाकू मार रही है और उनका बेटा छुप कर यह देख रहा है। क्या कारण है,
क्यों मारा उसने अपने पति को...?
इस फिल्म को अभी तक करीब 56 लाख लोग देख चुके हैं और इसे फिल्म फेयर समेत कई नामी मंचों पर नॉमिनेट भी किया जा चुका है। खुद मेरी नज़र में यह प्रभाकर की तीनों शॉर्ट-फिल्मों में से यह सबसे मैच्योर फिल्म है। इसे देखने के लिए यहां क्लिक कीजिए।
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निर्देशक प्रभाकर 'मीना भास्कर' पंत |
इन तीनों ही फिल्मों की खासियत यह है कि इन तीनों की ही थीम पति-पत्नी के रिश्तों में अनजाने में उभर आई जटिलताएं हैं। तीनों ही फिल्मों की कहानी में कहीं न कहीं एक ट्विस्ट आता है जिसके बाद कहानी का रुख ही बदल जाता है। प्रभाकर कहते हैं कि मुझे इस तरह से कहानी कहना पसंद है।

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