Thursday 15 July 2021

ओल्ड रिव्यू-न ‘ग्रेट’ न ‘ग्रैंड’, बस हल्की ‘मस्ती’

अगर सैक्स कॉमेडी लोगों को पसंद आतीं तो रिलीज़ होने से हफ्ता भर पहले लीक हो कर यह फिल्म हर जवां मोबाइल फोन में घूम रही होती।
 
अगर लोग इस तरह की फिल्मों के दीवाने होते तो ये बनतीं और ही कामयाबी पातीं।
 
अब बात यह कि क्या यह फिल्म वह मस्ती, वह मनोरंजन, वह गुदगुदाहट पैदा कर पाई है जिसके लिएमस्तीसीरिज़ की फिल्में जानी जाती हैं?
 
जवाब है-हां, मगर थोड़ा-थोड़ा...!
 
अब ऐसी फिल्मों में क्या कहानी है, कैसी स्क्रिप्ट है, डायरेक्शन कैसा है या एक्टिंग कैसी है, इन बातों से क्या फर्क पड़ता है। गंदी बातें हों, आंखों को गर्माने वाले सीन हों, बस, और क्या चाहिए और यह सब ज़्यादा नहीं लेकिन इतना तो है कि आपकोमज़ादे सके।
 
रही रेटिंग की बात, तो जो लोग इस किस्म की फिल्में पसंद ही नहीं करते, उन्हें रेटिंग की चाह नहीं और जो लोग इन्हें देखना चाहते हैं, उन्हें रेटिंग की परवाह नहीं, फिर भी...
अपनी रेटिंग-दो स्टार
(नोट-मेरा यह रिव्यू इस फिल्म की रिलीज़ के समय किसी पोर्टल पर प्रकाशित हुआ था। अब यह फिल्म ज़ी 5 पर देखी जा सकती है।)
(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म-पत्रकारिता में सक्रिय। मिजाज़ से घुमक्कड़। अपने ब्लॉग सिनेयात्रा डॉट कॉम(www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक फिल्म क्रिटिक्स गिल्डके सदस्य हैं और रेडियो टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

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