Friday, 2 February 2018

अपने सपनों पर भरोसा रखें-कहती हैं मिस वर्ल्ड मानुषी छिल्लर

-दीपक दुआ...
पिछले दिनों मिस वर्ल्ड-2017 का ताज पाने वाली हरियाणा की मानुषी छिल्लर से हुई बातचीत पढ़ें-
-मिस वर्ल्ड बनने के इस सफर में सबसे ज्यादा चैलेंजिंग क्या लगा?
-कुछ बहुत ज्यादा चैलेंजिंग तो नहीं लगा। सफर मुश्किल था लेकिन खुद पर भरोसा था और इससे भी बड़ी बात यह कि मेरे अपनों को मेरे भरोसे पर यकीन था। जब यहां से जीतने के बाद वहां पहुंची तो वहां पर सब लोग बहुत जल्दी एक-दूसरे के दोस्त बन गए। हालांकि हम सब लड़कियां अलग-अलग देशों से थीं और कइयों की तो हम भाषा ही नहीं जानती थीं लेकिन हम सब के बीच एक ऐसा नाता बन गया था कि हमें फिर कुछ मुश्किल लगा ही नहीं।
-इस खिताब को हासिल करने में बाहरी खूबसूरती के साथ-साथ भीतर की सुंदरता का कितना योगदान रहता है?
-मुझे लगता है कि मिस इंडिया या मिस वर्ल्ड बनना सिर्फ बाहरी खूबसूरती के दम पर ही नहीं होता। सुंदर होना मायने रखता है लेकिन साथ ही आपके विचार, आपकी सोच, आपके इरादे कितने सुंदर हैं, यह ज्यादा देखा जाता है। बल्कि मैं तो कहूंगी कि एक खूबसूरत दिल को इतने सारे खूबसूरत चेहरों का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना जाता है।
-हरियाणा से बहुत सारा टेलेंट निकला है। खासतौर से हम कल्पना चावला का नाम लेते हैं, बहुत सारी नामी खिलाड़ी यहां से आई हैं और अब इस राज्य ने हमें एक मिस वर्ल्ड दे दी है। क्या कहना चाहेंगी?
-जब आपके आस-पड़ोस से, आपके शहर से या राज्य से कोई लड़की आगे निकल कर कुछ हासिल करती है तो इससे बाकी लड़कियों को बहुत हौसला मिलता है। हरियाणा जैसा राज्य, जहां औरतों को थोड़ा कमतर करके देखा जाता रहा है, वहां से कोई ऐसी खबर आती है तो यह और ज्यादा अच्छा लगता है। मुझे लगता है कि अब तस्वीर बदल रही है। हरियाणा की लड़कियां लगातार तरक्की कर रही हैं और मुझे उम्मीद है कि आने वाले समय में तस्वीर और बेहतर ही होगी।
-आगे के लिए क्या सोचा है?
-अभी तो एक साल तक तो मैं मिस वर्ल्ड वालों के साथ कांट्रेक्ट में बंधी हूं और मुझे बहुत जगह जाना है। मुझे खुशी है कि मैं दुनिया भर में उन कामों से जुड़ पाऊंगी जिससे हम लोगों के और खासतौर से महिलाओं के बेहतर स्वास्थ्य के लिए, उनके पर्सनल हाइजीन के लिए कुछ सार्थक कर सकेंगे।
-ब्यूटी-क्वीन बनने की इच्छा रखने वाली लड़कियों के लिए क्या कहना चाहेंगी?
-मैं उनसे कहूंगी कि अपने सपनों का पीछा कभी छोड़ें। अगर आप को अपने सपने पर भरोसा है, खुद पर भरोसा है तो फिर चीजें अपने-आप अच्छी होती चली जाती हैं, जैसे मेरे मामले में हुईं।
-क्या फिल्मों में जाने का भी इरादा है?
-अभी इस बारे में कुछ कहना जल्दबाजी होगी। मुझ से पहले भारत में पांच मिस वर्ल्ड हुई हैं और उनमें से सिर्फ दो ही फिल्मों में गईं।
-यदि कल को आपने फिल्मों में जाने का इरादा कर ही लिया तो किस तरह की फिल्में करना चाहेंगी?
-जिस तरह की फिल्में आमिर खान करते हैं, उस तरह की। आमिर बहुत ही हट कर और चैलेंजिंग किरदार निभाते हैं और साथ ही उनकी फिल्में समाज को कुछ कहती भी हैं।
दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्मपत्रकारिता में सक्रिय। मिजाज से घुमक्कड़। अपने ब्लॉग (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज़ पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।
 

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