Thursday 8 February 2018

सूरजकुंड मेले में लगता है संस्कृतियों का संगम


-दीपक दुआ...
दिल्ली से सटे फरीदाबाद के सूरजकुंड इलाके में 1987 में शुरू किया गया सूरजकुंड मेला आज पूरी दुनिया में अपनी एक अलग पहचान पा चुका है।  अब सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय क्राफ्ट्स मेलाके नाम से मशहूर यह मेला अब विश्व का सबसे बड़ा क्राफ्ट मेला बन चुका है।  हर साल फरवरी के पहले पखवाड़े की गुनगुनी धूप में लगने वाले इस मेले का इंतजार आम लोगों के अलावा भारत भर के वे कलाकार और कारीगर भी करते हैं जो यहां हर साल आकर अपनी बनाई हुई चीजें बेचते और प्रदर्शित करते हैं।  इस साल 2 से 18 फरवरी तक आयोजित किए जा रहे इस मेले का थीम राज्य उत्तर प्रदेश और पार्टनर देश किरगिजस्तान है। वैसे यहां आपको भारत के हर राज्य की कला, शिल्प और खानपान की वस्तुओं के अलावा करीब 20 देशों के कारीगर और उनका सामान मिलेगा।
इस मेले को देखने के लिए जहां एक पूरा दिन भी कम पड़ता है वहीं यह भी तय है कि इसे देखने के बाद यहां बिताए पलों और संजोए आनंद को बयान करने के लिए शब्द भी कम पड़ने लगते हैं।
(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म-पत्रकारिता में सक्रिय। मिजाज से घुमक्कड़। अपने ब्लॉग सिनेयात्रा डॉट कॉम (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

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