-दीपक दुआ...
‘अनारकली ऑफ़ आरा’ के बारे में अविनाश दास ने मुझ से 2012 में अपनी पहली ही मुलाकात में जिक्र किया था। आज यह फिल्म तैयार है, पर्दे पर आने वाली है। तो क्या यह वैसी बन पाई, जैसी कभी उन्होंने सोची थी?
अविनाश कहते हैं कि यह उससे कहीं बेहतर बनी है क्योंकि जब उन्होंने इसे बनाने के बारे में सोचा था तब वह अकेले थे लेकिन जब यह बननी शुरू हुई तो इससे जुड़े हर शख्स ने इसमें पूरा सहयोग दिया। यह अविनाश की बहुत बड़ी खूबी रही है कि वह किसी भी काम का श्रेय खुद को कम से कम देना पसंद करते हैं। ‘अनारकली ऑफ़ आरा’ उनके खुद के सपनों की उड़ान है और देखिए, कितनी विनम्रता से वह इसका श्रेय दूसरों को बांट रहे हैं।
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