Wednesday 22 March 2017

मजबूरन करनी पड़ी पंकज त्रिपाठी को ‘अनारकली’



-दीपक दुआ...

पंकज त्रिपाठी यारों के यार हैं। हम दोनों बरसों से एक-दूसरे से फोन पर बतियाते रहे हैं, पर मिले कभी नहीं थे। अनारकली ऑफ़ आराके प्रचार के लिए पंकज का दिल्ली आना हुआ तो अपन उन्हें शुभकामनाएं देने जा पहुंचे और भाई ने आते ही पूरी भीड़ में आगे बढ़ कर जो गले से लगाया, जिगरा गदगद हो उठा। फिल्म और उनके कैरियर को लेकर पंकज से अक्सर बातें होती रही हैं। प्रैस-कांफ्रेंस में पत्रकार मुर्तजा अली ने उनसे पूछा कि पोस्टरों पर तो आप कहीं नहीं दिखाई दे रहे, तो आपने फिल्म क्या सोच कर साइन की थी?

पंकज त्रिपाठी का जवाब था-क्योंकि यह उनके दोस्त (अविनाश दास) की फिल्म है। उन्होंने यह रहस्य भी खोला कि इस फिल्म में रंगीला का किरदार उन्होंने दरअसल अभिनेता संजय मिश्रा की जिद पर स्वीकार किया। देखिए, कैसे पंकज हंसते-हंसाते पूरी बात बताते हैं।

2 comments:

  1. मगर film तो अच्छी रही कोई पछतावा नहीं होना चाहिए l

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    1. पछतावे जैसी कोई बात तो पंकज ने कही ही नहीं... वीडियो देखें... शुक्रिया...

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