-दीपक दुआ...
फरवरी के महीने में अक्षय कुमार की ‘जॉली एलएलबी 2’ ने दर्शकों के दिल जीते। ‘हरिभूमि’ में महीने के पहले शुक्रवार को छपने वाले अपने कॉलम ‘बॉक्स-ऑफिस’ में पढ़िए फरवरी में आईं
फिल्मों का हाल।
एक साथ दो-दो बड़ी फिल्में आ जाएं तो उसके बाद वाले शुक्रवार को नई फिल्मों को थिएटर ही नहीं मिल पाते। फरवरी की शुरूआत में यही हुआ। 26 जनवरी पर ‘रईस’ और ‘काबिल’ ने आकर थिएटरों में कब्जा जमाया हुआ था सो फरवरी के पहले शुक्रवार को ‘अलिफ’ और ‘ना राजा ना रानी’ जैसी छोटे बजट की फिल्में ही आ सकीं। इनमें से जैगम इमाम की ‘अलिफ’ ने मुस्लिम समुदाय में शिक्षा पर जोर देने की वकालत की लेकिन आम दर्शकों के टेस्ट की फिल्म न होने के चलते यह सिर्फ चंद बुद्धिजीवी दर्शकों तक ही सिमट कर रह गई। इसी हफ्ते आई जैकी चान और सोनू सूद वाली डब फिल्म ‘कुग फू योगा' में रोमांच और रफ्तार तो थे लेकिन बेदम कहानी के चलते दर्शकों ने इसे भी किनारे कर दिया। चीन में सुपरहिट होने और एक सप्ताह में तकरीबन 943 करोड़ रुपए इक्ट्ठे करने वाली इस फिल्म को भारत में अंग्रेजी और हिन्दी संस्करणों से इतनी कलैक्शन भी नहीं हुई कि कहीं इसका जिक्र होता।
फरवरी का दूसरा हफ्ता अक्षय कुमार की शानदार फिल्म ‘जॉली एलएलबी 2’ लेकर आया। निर्देशक सुभाष कपूर ने इस फिल्म के बड़े बजट और भव्य कैनवास का फायदा उठाते हुए इस बार सिस्टम पर करारी चोट की और तीखेपन के साथ अपनी बात रखी। दर्शकों ने भी इस फिल्म का भरपूर सम्मान करते हुए इसे सिर-माथे पर जगह दी। वीकएंड में करीब 48 करोड़ और पहले सप्ताह में लगभग 78 करोड़ रुपए जमा करने के बाद भी यह फिल्म रुकी नहीं और बहुत जल्द सौ करोड़ी क्लब में शामिल होकर सुपरहिट का खिताब ले उड़ी। इसी सप्ताह आई गुरमीत राम रहीम सिंह की फिल्म ‘हिन्द का नापाक को जवाब-एमएसजी लायन हार्ट-2’ को सिर्फ उत्तर भारत में बाबा के अनुयाइयों द्वारा ही देखा गया। ‘हॉरर नाइट’ का कहीं नाम भी नहीं सुना गया।
तीसरे शुक्रवार को निर्देशक संकल्प रेड्डी ने नेवी ऑपरेशन पर बनी भारत की पहली फिल्म ‘द गाजी अटैक’ दी। अपनी इस पहली ही फिल्म में संकल्प ने 1971 में पाकिस्तानी पनडुब्बी गाजी के नष्ट होने की घटना को एक काल्पनिक कहानी का हिस्सा बना कर सचमुच एक सराहनीय फिल्म दी। बिना रोमांस और गानों की इस फिल्म को अच्छा सिनेमा देखने वालों ने सराहा लेकिन टिकट-खिड़की पर पैसे लुटाने वाले आम दर्शक वर्ग ने इससे दूरी बनाए रखी जिस वजह से यह फिल्म एक सप्ताह में करीब 12 करोड़ रुपए ही बटोर पाई। ‘रनिंग शादी’ का आइडिया जितना दिलचस्प था, इसकी स्क्रिप्ट उतनी ही कच्ची निकली और यही कारण है कि शानदार कॉमेडी बन सकने वाली यह फिल्म अधपकी रह गई और दर्शकों भी इससे दूर ही रहे। एक हफ्ते में मात्र 60 लाख की इसकी कलैक्शन ने इस पर सुपर फ्लॉप का धब्बा लगाया। अरशद वारसी-नसीरुद्दीन शाह वाली ‘इरादा’ में ईको-टेरररिज्म की बात की गई। इस अलग किस्म की थ्रिलर फिल्म को बनाने वालों का इरादा तो नेक था लेकिन कच्चेपन और डिटेलिंग की कमी के चलते यह ज्यादा ऊपर नहीं उठ पाई और बॉक्स-ऑफिस पर भी हल्की ही रही। एक हफ्ते में सिर्फ 58 लाख ही यह जमा कर पाई।
आखिरी हफ्ते में विशाल भारद्वाज ने ‘रंगून’ में दूसरे विश्व-युद्ध के बैकड्रॉप
में जो खिचड़ीनुमा कहानी परोसी उसकी काफी आलोचना हुई। सैफ, कंगना और शाहिद के उम्दा अभिनय
के चलते इसे शुरूआती रिस्पांस तो अच्छा मिला और विशाल के प्रशंसकों ने भी इसकी तरफ
रुख किया लेकिन देखने के बाद निराश होकर लौटे दर्शकों ने दूसरों को इससे दूर रहने की
ही सलाह दी। पहले दिन की इसकी कलैक्शन करीब 6 करोड़ रही। तीन दिन में करीब 18 करोड़ की
कलैक्शन के बाद सोमवार को यह सिर्फ सवा करोड़ की बटोर पाई और फिर ठंडी पड़ती चली गई।
इसके साथ आई नाना पाटेकर वाली ‘वेडिंग एनिवर्सरी’ का खुल का प्रचार ही नहीं हो पाया।
‘मोना डार्लिंग’ और ‘9 ओ क्लॉक के तो नाम भी सुनने में नहीं आए।
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