-दीपक दुआ...
आर्मी अफसर पिता के बेटे भुवन अरोड़ा ‘शुद्ध देसी रोमांस’, ‘डेढ़ इश्किया’, ‘तेवर’ और ‘नाम शबाना’ में आने के बाद अब ‘बैंक चोर’ में आए हैं।
-पहली बार एक्टर बनने का ख्याल कब आया?

-और स्कूल के बाद आपने यह राह पकड़ ली?
-अजी कहां, हमारे घरों में होता है न कि पहले
पढ़ाई पूरी करो, बाद में इन सब बातों के बारे में
सोचना। तो मैं दिल्ली के पीजीडीएवी काॅलेज में बी.काॅम करने लगा लेकिन साथ ही साथ थिएटर
लगातार चल रहा था और उसमें मैं राष्ट्रीय स्तर तक काम करने लगा था। उसके बाद मैंने
हालांकि एक छोटी-मोटी नौकरी भी की लेकिन मेरा मन एक्टिंग में था तो यार-दोस्तों ने
समझाया कि देख, थिएटर करनी है तो नेशनल स्कूल
आॅफ ड्रामा में जा और अगर फिल्में करनी है तो पुणे फिल्म इंस्टिट्यूट जा। तो बस, मैं वहां से सीधा पुणे आ गया जहां
मैंने नसीरुद्दीन शाह, कमल हासन, सौरभ शुक्ला, ओम पुरी जैसे दिग्गज लोगों से
सीखा और फिर मुंबई आ पहुंचा।
-एक्टिंग में जाने को लेकर घर वालों का कैसा रिएक्शन था?
-मेरे पेरेंट्स ने मुझे अगर बढ़ावा नहीं दिया तो निराश भी नहीं किया। उनका कहना था
कि जिसमें तेरा मन है वह कर, लेकिन जो भी कर उसे पूरे समर्पण से कर।
-मुंबई क्या सोच कर गए थे कि इंडस्ट्री खुश होगी, जाते ही शाबाशी देगी?
-और कोई रास्ता भी तो नहीं था। इतना दूर आने के बाद कहीं और तो जा नहीं सकता था
सो यहां आ गया और मेरी खुशकिस्मती ही कह लीजिए कि आते ही मुझे एक महीने के अंदर काम
मिलने लगा था। टी.वी. के लिए काफी कुछ किया, विज्ञापनों में काफी काम किया और इस बीच धीरे-धीरे लोगों से संपर्क बनते गए और
काम भी बढ़ता गया।
-पहली फिल्म ‘शुद्ध देसी रोमांस’ कैसे मिली?
-असल में मैंने आॅडिशन दिया था यशराज की ‘जब तक हैं जान’ के लिए लेकिन शाहरुख खान के रूममेट
के उस रोल के लिए मैं उन्हें थोड़ा छोटा लग रहा था। पर मेरा आॅडिशन उन लोगों को पसंद
आया और उसी के बेस पर मुझे यशराज की ही ‘शुद्ध देसी रोमांस’
में ले लिया गया।
-अभी तक आपने सारी फिल्में बड़े बैनरों की ही कीं लेकिन कोई भी आपको एक जबर्दस्त
पहचान नहीं दे पाई। ऐसा क्यों?

-आगे आप किस तरह के किरदारों को करने की इच्छा रखते हैं?
-मैंने अपने लिए ऐसी कोई लाइन नहीं खींची है। अभी मैं फिल्में कर रहा हूं, कुछ वेब-सीरिज कर रहा हूं और मेरा
सिर्फ यह मानना है कि जो भी रोल मैं करूं, चाहे वह पाॅजिटिव हो,
निगेटिव हो, काॅमिक हो या कैसा भी हो, उसे अलग तरह से करूं। मैं हर वह
किरदार निभाना चाहूंगा,
जिसे करके मुझे मजा आए
और उसे मैं इस तरह से करना चाहूंगा कि दर्शकों को उसे देख कर मजा आए।
No comments:
Post a Comment