-दीपक दुआ... (Featured in IMDb Critics Reviews)
असली हीरो को विलेन ने मार गिराया तो उसके दोस्त उसके हमशक्ल को हीरो बना कर ले आए जिसने विलेन को जम कर मजा चखाया।
असली हीरो को विलेन ने मार गिराया तो उसके दोस्त उसके हमशक्ल को हीरो बना कर ले आए जिसने विलेन को जम कर मजा चखाया।
कहिए, याद आ गई न ‘राउडी राठौड़’ और ऐसी ही कई और कहानियां? इस हफ्ते रिलीज हुई 3-डी एनिमेशन फिल्म ‘मोटू पतलू-किंग ऑफ किंग्स’ में कुछ ऐसी ही कहानी है। फुरफुरी नगर के दमदार मोटू और दिमागदार पतलू के साथ उनके साथी डॉ. झटका और घसीटा राम जैसे किरदार हममें से कितनों के ही बचपन का हिस्सा रहे हैं। इस फिल्म में ये सर्कस से भागे एक शाकाहारी शेर को जंगल पहुंचाते-पहुंचाते ऐसे लोगों से भिड़ जाते हैं जो जंगल को तबाह करना चाहते हैं।
अपने यहां बच्चों को ध्यान में रख कर बनाई जाने वाली इस तरह की एनिमेशन फिल्मों में आमतौर पर मनोरंजन और मैसेज के बीच घालमेल हो जाता है। लेकिन इस फिल्म में इन दोनों तत्वों के बीच काफी अच्छा संतुलन बनाते हुए मनोरंजन को प्रमुखता दी गई है। हंसाते-गुदगुदाते हुए यह फिल्म आपको काफी सारी अच्छी बातें सिखा जाती है। निर्देशक सुहास कदव ने अच्छी कल्पनाशीलता दिखाई है। केतन मेहता की कंपनी माया डिजिटल स्टूडियो ने उम्दा क्वालिटी का एनिमेशन तैयार किया है।
बच्चों के साथ-साथ बड़ों को भी पसंद आने का दम है इस फिल्म में।

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