Friday, 7 October 2016

रिव्यू-‘तूतक तूतक तूतिया’-थोड़ी कॉमेडी थोड़ी भूतिया

-दीपक दुआ... (Featured in IMDb Critics Reviews)
सबसे पहले तो इस फिल्म के नाम तूतक तूतक तूतियाकी बात हो जाए। ये दरअसल एक पंजाबी लोकगीत के बोल हैं-तू तक तू तक तू तक तूतिया, हे जमालो... जा तूतां वाले खू ते, हे जमालो...इसमें नायक अपनी प्रेयसी जमालो को मिलने के लिए उस कुएं पर बुला रहा है जिसके पास शहतूत का पेड़ लगा हुआ है। इस गीत को कई गायक कई तरह से गाते रहे हैं और यह हमेशा लोकप्रिय रहा है।
 
अब बात यह कि इस फिल्म का नाम तूतक तूतक तूतियाक्यों है? यकीन मानिए, यह फिल्म इस सवाल का कोई जवाब नहीं देती है, सिवाय इसके कि यह गाना अपने एक नए वर्ज़न और रैप के साथ इस फिल्म में बतौर आइटम-नंबर इस्तेमाल किया गया है। अब सोचिए कि जिस फिल्म को लिखने-बनाने वालों के पास अपनी कहानी को देने के लिए एक सलीके का शीर्षक तक हो, वे उस कहानी और फिल्म के साथ कितना न्याय कर पाएंगे?

हीरो अपनी बीवी को लेकर मुंबई में जिस घर में रहने आया वहां एक ऐसी लड़की की आत्मा रहती है जो एक्ट्रैस बनने का ख्वाब लिए-लिए मर गई। अब वह आत्मा इस औरत में आकर अपना सपना पूरा करना चाहती है और उसका पति परेशान है कि बीवी और एक्ट्रैस में कैसे तालमेल बिठाए।

इस फिल्म को हॉरर-कॉमेडी कहा जा रहा है। ये दोनों ही जॉनर दर्शकों को खासे पसंद आते रहे हैं। कहानी में इतना दम भी दिखाई देता है कि अगर इसे कायदे से फैलाया जाता तो यह एक कमाल की कॉमेडी  हॉरर या हॉरर-कॉमेडी भी बन सकती थी। लेकिन लिखने वाले अपना दिमाग ठीक से इस्तेमाल नहीं कर पाए और डायरेक्टर विजय का विज़न भी बेहद सीमित निकला। लिहाजा, जो बन कर आया है, वह तो ठीक से हंसा पाता है और डरा पाता है।

प्रभुदेवा बतौर एक्टर अपनी रेंज में रह कर ठीक-ठाक काम कर लेते हैं। सोनू सूद इतने हल्के रोल वाली फिल्म में काम करने और उसे प्रोड्यूस तक करने को कैसे राज़ी हो गए? तमन्ना साधारण रहीं। दरअसल पूरी फिल्म ही साधारण है जिसे आसानी से भुलाया जा सकता है।
अपनी रेटिंग-डेढ़ स्टार

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