-दीपक दुआ...
जी हां,
सच यही है कि अगर सब कुछ ‘ठीक-ठाक’
रहता तो ‘केसरी’ नाम की जिस फिल्म में आज हम अक्षय कुमार को देख रहे हैं उसमें या तो हमें रणदीप हुड्डा नज़र आते या अजय देवगन या फिर ऐसी तीन फिल्मों में ये तीनों। भले ही उन फिल्मों का नाम ‘केसरी’ नहीं होता लेकिन वो फिल्में भी उसी सारागढ़ी की लड़ाई पर बननी शुरू हुई थीं जिस पर अब ‘केसरी’ बन कर सामने आई है। साल 2016 में इसे लेकर फिल्म इंडस्ट्री में एक छोटी-मोटी जंग शुरू हो गई थी।
असल में सारागढ़ी की लड़ाई यानी बैटल ऑफ़ सारागढ़ी हमारे इतिहास का एक ऐसा रक्तरंजित मगर सुनहरा पन्ना है जिस पर हिन्दुस्तानी कौम ने हमेशा गर्व किया है और शायद रहती दुनिया तक करती रहेगी। उत्तर-पश्चिम के सरहदी इलाके (जो अब पाकिस्तान में है और जिसे अब खैबर पख्तूंख्वा कहा जाता है) की तिराह नामक जगह पर हुई इस लड़ाई में एक तरफ दस से बारह हज़ार अफगानी कबायली थे और वहीं दूसरी तरफ ब्रिटिश सेना की ‘36 सिक्ख बटालियन’ के सिर्फ 21 सिक्ख सिपाही जिनका लीडर था हवलदार ईशर सिंह। इन सिपाहियों ने जिस बहादुरी से यह लड़ाई लड़ी और अपनी जगह छोड़ने की बजाय शौर्य और साहस से मृत्यु का वरण किया,
उसकी मिसाल मानव इतिहास में विरले ही देखने को मिली है। साल 2016 में इसी लड़ाई पर हमारे फिल्मकारों की नज़र पड़ी और वे आपस में भिड़ गए।
सबसे पहले निर्देशक राजकुमार संतोषी ने रणदीप हुड्डा को लेकर ’21-बैटल ऑफ़ सारागढ़ी’ नाम से फिल्म बनाने का ऐलान किया। साथ ही उन्होंने ईशर सिंह के किरदार में रणदीप का फर्स्ट लुक भी जारी कर दिया। जल्द ही अजय देवगन भी ‘सन्स ऑफ़ सरदार-द बैटल ऑफ़ सारागढ़ी’
का एक पोस्टर जारी करते हुए इस मैदान में कूद गए। लेकिन ये दोनो ही फिल्में किसी न किसी वजह से लटकती रहीं। हालांकि बीच-बीच में इनके शुरू होने की खबरें भी आई लेकिन इसी बीच इसी विषय पर अक्षय कुमार वाली ‘केसरी’ ने रफ्तार पकड़ ली और आज यह फिल्म रिलीज होने के कगार पर खड़ी है। वैसे याद करें तो किसी एक विषय पर इंडस्ट्री वालों का यूं टूट पड़ना कोई नई बात नहीं है। कुछ बरस पहले ये लोग शहीद भगत सिंह के लिए पगलाए थे। तब राजकुमार संतोषी की अजय देवगन वाली ‘द लीजैंड ऑफ़ भगत सिंह’ और बॉबी दिओल वाली गुड्डू धनोआ की ‘23
मार्च 1931-शहीद’ एक ही दिन यानी 7 जून 2002
को रिलीज़ हुई थीं। इनके अलावा भी उन दिनों भगत सिंह पर तीन-चार फिल्में और बन रही थीं। अगर सारागढ़ी की लड़ाई पर भी एक साथ तीन-तीन बड़े निर्माताओं की फिल्में आतीं तो क्या दिलचस्प नज़ारा होता और थिएटरों में कैसा रायता फैलता, इसे भूल कर फिलहाल चलिए,
‘केसरी’
पर ध्यान देते हैं। 'केसरी' का रिव्यू यहां पढ़ें...
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