Monday, 8 August 2016

बाॅक्स आॅफिस-जुलाई-सुलतान का रहा जलवा

पिछले कई साल से 'हरिभूमि' अखबार में हर महीने अपना कॉलम 'बॉक्स ऑफिस' आ रहा है. जुलाई के बॉक्स-ऑफिस की रिपोर्ट शनिवार 6 अगस्त को छपी, जिसे यहाँ पढ़ा जा सकता है-

जुलाई की शुरूआत हुई तो रमजान का महीना अपने आखिरी पड़ाव पर था। ऐसे में छोटे बजट की वे फिल्में आती हैं जिन्हें रिलीज होने का कोई और मौका न मिल रहा हो। सो, ‘शोरगुल’, ‘कैरी आॅन कुत्तों’, ‘हवस की इंतहाजैसी इन फिल्मों में ऐसा कुछ नहीं था कि इन्हें देखा या सराहा जाता। वैसे भी ईद पर सुलतानके आने के कारण इन्हें थिएटरों में सिर्फ पांच दिन मिले और धेले भर कमाई।

ईद का मौका हो और सलमान खान की फिल्म हो तो उसके साथ चलने की हिम्मत कोई नहीं करता। जुलाई के दूसरे हफ्ते में आई भाई की सुलतानको खुल कर खेलने के लिए ईद जैसा हाॅट मौका और नौ दिन मिले जिसका इस फिल्म को जम कर फायदा पहुंचा। पहले दो दिन में ही करीब 74 करोड़ की कलैक्शन लेने के बाद इस फिल्म ने नौ दिन में लगभग 229 करोड़ रुपए बटोर डाले और इस साल की अब तक की सबसे बड़ी हिट फिल्म होने का खिताब भी पाया। परिवार सहित देखे जाने लायक फिल्म होने का भी इसे काफी फायदा पहुंचा और दूसरे सप्ताह में इस फिल्म ने करीब 49 करोड़ की कलैक्शन की।

जुलाई का तीसरा शुक्रवार एडल्ट काॅमेडी ग्रैट ग्रैंड मस्तीलेकर आया जो यूं तो 22 जुलाई को आनी थी लेकिन आॅनलाइन लीक होने के कारण इसके निर्माता इसे एक हफ्ता पहले यानी 15 जुलाई को ले आए। हालांकि इस किस्म की फिल्मों का भी एक दर्शक वर्ग है लेकिन उसे भी तो कुछ मसाले चाहिए होते हैं जबकि इस फिल्म में सिवाय फूहड़ता के और कुछ नहीं था। सो, आते ही इसकी पोल खुल गई और काफी कम दर्शकों ने ही इस पर पैसे लुटाने की हिम्मत दिखाई। पहले हफ्ते में महज साढ़े तेरह करोड़ की इसकी कलैक्शन इसे एक नाकाम फिल्म का दर्जा दिलवाती है। इसके साथ आई एक हकीकत रंजिशका तो कहीं नाम भी सुनने में नहीं आया।

इरफान की मदारीको तारीफें तो मिलीं लेकिन इसकी साधारण कहानी और लगभग सूखे ट्रीटमैंट के चलते ज्यादातर दर्शकों ने इससे दूरी बनाए रखी। इस किस्म की फिल्में जिस तरह का हार्डहिटिंग और पैना नजरिया मांगती हैं, वह इस फिल्म में देखने को नहीं मिला और इसे पहले सप्ताह में सिर्फ साढ़े बारह करोड़ की कलैक्शन से ही संतोष करना पड़ा। इसी सप्ताह आईं इश्क क्लिकऔर एम क्रीमके तो आने और जाने तक ही आहट नहीं हुई। रजनीकांत की डब फिल्म कबालीने जरूर टिकट-खिड़की पर गर्मी बनाए रखी। बाकी भाषाओं में तो इसने जम कर कमाई की मगर हिन्दी में एक हफ्ते की इसकी कलैक्शन करीब 22 करोड़ ही रही। रजनीकांत के जलवे को देखते हुए यह कम है तो वहीं एक डब फिल्म की हैसियत से काफी ज्यादा।

जुलाई जाते-जाते रोहित धवन की ढिशुमदेकर गया। एक बहुत ही कमजोर कहानी और काफी लचर पटकथा पर बनी इस फिल्म को सिर्फ मसालेदार मनोरंजन पसंद करने वाले दर्शकों ने ही कुछ हद तक पसंद किया। डेविड धवन के बेटे रोहित अपने पिता की ही तरह छिछोरेपन वाली फिल्में बनाते रहे तो भीड़ में गुम होकर रह जाएंगे।
-दीपक दुआ

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