-दीपक दुआ...
इरफान सबके चहेते अदाकार थे। उनका काम देख चुके लोग जानते हैं कि उन्होंने कुछ भी कभी ‘नॉनसेंस’ नहीं किया होगा। अपने काम से ऐसी छवि कम ही कलाकार गढ़ पाते हैं कि उनका नाम या चेहरा सामने आते ही कुछ सार्थक काम का अहसास होने लगे। इरफान से मिल चुके या उन्हें कहीं बातचीत करते देख चुके लोग अक्सर इस बात को चिन्ह्ति करते रहे हैं कि वह असल ज़िंदगी में भी कभी ‘नॉनसेंस’ नहीं हुए। इस किताब से यह धारणा और मज़बूत होती है जिसमें वरिष्ठ फिल्म आलोचक व पत्रकार अजय ब्रह्मात्मज ने इरफान के साथ हुए समय-समय पर हुए अपने कुछ साक्षात्कारों को संकलित किया है।
अजय बरसों से फिल्म पत्रकारिता में सक्रिय हैं। अपने काम और नई आने वाली फिल्मों के लिए कलाकारों से मिलने-बतियाने के क्रम में फिल्म पत्रकार अक्सर नई फिल्मों या फौरी मुद्दों पर ही बात करते हैं। लेकिन इस किताब में संकलित अजय और इरफान की बातें नई-पुरानी फिल्मों के अलावा इरफान की जीवन-यात्रा, अतीत के उनके अनुभवों और भविष्य के प्रति उनकी सोच तक भी जाती हैं। कह सकते हैं इरफान से अपने करीबी और दोस्ताना संबंधों का अजय को फायदा मिला होगा लेकिन किसी कलाकार से ऐसे संबंध बनाने और उसे बनाए रखने के लिए भी एक फिल्म पत्रकार को फिल्मी और फिल्म पत्रकारिता की दुनिया की तय लीकों से हटना पड़ता है।
अलग-अलग समय पर इरफान से हुई अपनी बातचीत के ज़रिए अजय पाठकों को न सिर्फ इरफान के और करीब ले जाते हैं बल्कि फिल्म पत्रकारिता के छात्रों को वह यह सिखा पाने में भी कामयाब रहते हैं कि किसी कलाकार के साथ कायदे की बातचीत कैसे की जाए। इरफान की कुछ फिल्मों की समीक्षा और उनके कुछ सहयोगी कलाकारों की उन पर टिप्पणियों से यह किताब समृद्ध हुई है। किताब खत्म होती है तो मलाल होता है कि एक सधा हुआ कलाकार असमय ही चला गया वरना ऐसी और कई सार्थक बातचीत उनके साथ होतीं। यह किताब इरफान के यूं चले जाने से कोरे रह गए पन्नों से उदास करती है।
यह एक ई-पुस्तक है। इसे नॉटनल ने प्रकाशित किया है जिसे इस लिंक पर देखा और खरीदा जा सकता है। कीमत बहुत कम है-महज़ 60
रुपए। कहीं-कहीं शब्दों की कुछ एक भूलों के बावजूद यह एक ऐसी उम्दा किताब है जिसे हाथ में लेकर पढ़ने और सहेजने में ज़्यादा आनंद आएगा। अजय को इसे छपवाने पर भी विचार करना चाहिए।
(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म-पत्रकारिता में सक्रिय। मिजाज़ से घुमक्कड़। अपने ब्लॉग ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं,
न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)
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