-आपकी सुबह की शुरूआत कैसे होती है?
-मेरा दिन योग से शुरू होता है। इसके बिना मैं नहीं रह सकती। मुझे लगता है कि अगर आप अच्छे ये योगाभ्यास कर लें तो आपको फिर जिम जाने या दूसरी एक्सरसाइज की जरूरत नहीं रह जाती है। सुबह मैं बहुत सारा पानी भी पीती हूं और नाश्ता हैवी करती हूं ताकि दिन भर के लिए एनर्जी बनी रहे।
-मुझे इंडियन फूड पसंद है। चाहे कुछ भी हो-नॉर्थ के कड़ाही पनीर, दाल मक्खनी से लेकर साऊथ के इडली-डोसा तक मुझे सब अच्छा लगता है। कुछ समय पहले मैं छुट्टियां मनाने हांगकांग गई थी और वहां मुझे मनपसंद खाना नहीं मिला तो तीन-चार दिन बाद मुझे सपने में भी दाल मक्खनी आने लगी। ज्यादा तो नहीं खाती लेकिन चटपटा, मसालेदार इंडियन फूड मेरी कमजोरी है।
-रोडसाइड फूड के बारे में आपका क्या ख्याल है?
-अरे, पूछिए मत। यह तो हम पंजाबी लोगों की कमजोरी है। मैं दिल्ली में पली-बढ़ी हूं तो गोलगप्पे, भल्ले-पापड़ी, टिक्की, छोले-भठूरे और इधर मुंबई में पाव-भाजी, वड़ा-पाव, भेल-पूरी मेरे फेवरेट रहे हैं। रोडसाइड फूड खाने का मन होता है तो मैं खुद को रोक नहीं पाती। आपको जान कर हैरानी होगी कि मुझे एक-दो बार बड़े होटलों का खाना खाकर फूड-प्वायज्निंग हुई है लेकिन रोडसाइड फूड से कभी नहीं।
-किस तरह की ड्रैसेज में आप खुद को कम्फर्ट महसूस करती हैं?
-इंडियन ड्रैसेज। हालांकि साड़ी मुझे बहुत पसंद है और साऊथ में मैंने बहुत साड़ी पहनी है लेकिन मेरे लिए इसे कैरी करना आसान नहीं होता। मैं तो उन औरतों पर हैरान होती हूं जो बड़े मजे से रोजाना साड़ी बांध कर ऑफिस जाती हैं या घर के सारे काम निबटाती हैं। इसकी बजाय मुझे चूड़ीदार, कुर्तियां, सलवार-सूट जैसी ड्रैसेज बहुत कम्फर्टेबल लगती हैं।
-किस तरह के रंग आपको ज्यादा आकर्षित करते हैं?
-मुझे लाल रंग बहुत ज्यादा पसंद है। दरअसल मुझे ऐसे चटकीले रंग पसंद हैं जो खुशी या उत्साह के सिंबल हैं जैसे संतरी रंग या रानी-पिंक। मुझे हल्के या दबे हुए रंग नहीं पसंद। वे मुझे उदास कर देते हैं। मेरा मानना है कि रंगों से इंसान का मूड बनता है और अगर आपको खुश रहना है, दूसरों को खुश करना है तो आपको आकर्षित करने वाले रंगों को ही पहनना चाहिए।
-अपनी खूबसूरती के लिए आप क्या उपाय करती हैं?
-बता दूं? चलिए, आज यह राज भी खोल ही देती हूं। मैं हमेशा खुश रहती हूं। मुझे लगता है कि खुश रहने वाला इंसान अपने हर हालात को बेहतर तरीके से समझ पाता है और संतुष्ट रहता है। उसकी यही संतुष्टि ही उसके चेहरे पर खूबसूरती बन कर झलकती है।
-कभी तनाव में होती हैं तो क्या करती हैं?
-म्यूजिक का मुझे काफी शौक है। मैं म्यूजिक सुनती हूं और सब कुछ भगवान पर छोड़ देती हूं। मैं अपने अंदर निगेटिव विचार नहीं आने देती और कभी अपसैट होती हूं तो शाॅपिंग करने चल पड़ती हूं।
-मुझे ऐसी जगह नहीं पसंद जहां अकेलापन हो। जैसे लोग कहते हैं कि बीच पर जाएंगे या पहाड़ों पर जाएंगे। मैं सोचती हूं कि एक-दो दिन के लिए तो चलो ठीक है, पर वहां ज्यादा रह कर करेंगे क्या? मुझे कॉस्मोपॉलिटन किस्म की जगह पसंद हैं जहां आपके पास वैरायटी हो। जहां प्राकृतिक सौंदर्य भी हो, लोग भी हों, मैं शाॅपिंग भी कर सकूं। जैसे दुबई है, बैंकॉक है, लंदन है इस तरह की जगहों पर जाना मुझे अच्छा लगता है।
-ईश्वर में आप कितना यकीन रखती हैं?
-बहुत ज्यादा। मेरा तो यह मानना है कि आज मैं जहां भी हूं, सिर्फ और सिर्फ ऊपर वाले के आशीर्वाद से हूं। मैं यहां हिन्दी फिल्में करने आई थी मगर साऊथ चली गई। वहां मैंने इतनी सारी फिल्में कीं और बीच-बीच में हिन्दी फिल्मों में भी मुझे काम मिलता रहा, आज भी मिल रहा है। और यह सब बिना किसी गॉडफादर के हुआ। मुझे तो लगता है कि मेरे गॉड ही मेरे लिए सब कुछ कर रहे हैं।
-दीपक दुआ
(अपना यह आलेख हाल ही में ‘हिन्दुस्तान’ अखबार के कॉलम ‘जियो जिंदगी’ में छपा।)
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